“राम राम सा! राजस्थान री शान– ऊँट महोत्सव, जठे हर कदम पर मिलै संस्कृति रो मान।
Rajasthan Camel Festival 2025: राजस्थान की धरती अपने ऐतिहासिक महलों, रंगीन वेशभूषा, और राजसी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है बीकानेर का कैमल फेस्टिवल। यह उत्सव न केवल ऊंटों के प्रति लोगों का स्नेह और सम्मान दर्शाता है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध विरासत का भी जीवंत चित्रण करता है।
कैमल फेस्टिवल 2025: कहां और कब?
इस साल का ऊंट महोत्सव 10 जनवरी यानी आज से 12 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। इसकी शुरुआत नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर से होने वाली एक भव्य हेरिटेज वॉक से होगी, जो बीकानेर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करेगी।
यह भी जरूर पढ़ें...
हेरिटेज वॉक: इतिहास की झलक
नगर सेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर से रामपुरिया हवेली तक जाने वाली इस वॉक का उद्देश्य बीकानेर की ऐतिहासिक इमारतों और उनकी वास्तुकला की भव्यता को दुनिया के सामने लाना है।
रामपुरिया हवेली जैसे स्थान बीकानेर की समृद्ध विरासत का प्रतीक हैं।
यह वॉक इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण होगी।
कैमल फेस्टिवल का इतिहास और महत्व
कैमल फेस्टिवल हर साल जनवरी में बीकानेर में आयोजित होता है। यह त्योहार राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है, जो मुख्य रूप से ऊंटों के प्रति आभार व्यक्त करने और उनकी सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ऊंट, जिसे ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है, राजस्थान की जीवनशैली और अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्राचीन काल से ऊंट परिवहन, खेती, और सेना में उपयोगी रहे हैं।
त्योहार की शुरुआत
कैमल फेस्टिवल का आरंभ बीकानेर के जूनागढ़ किले के पास रंगारंग जुलूस से शुरू होता है। यह जुलूस पूरी तरह से सजे-धजे ऊंटों और पारंपरिक वेशभूषा में सजे स्थानीय लोगों के साथ एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। ऊंटों को सुंदर पारंपरिक गहनों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जाता है। इनके माध्यम से राजस्थान की कला और संस्कृति को अनोखे तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।
मुख्य आकर्षण
1. ऊंटों की परेड और प्रतियोगिताएं
त्योहार के दौरान ऊंटों की परेड एक मुख्य आकर्षण होती है। इस परेड में ऊंट अपने मालिकों के साथ विभिन्न पारंपरिक और आधुनिक परिधानों में सजे होते हैं। इसके अलावा, ऊंट नृत्य, ऊंट दौड़, और ऊंट सजावट प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते हैं।
2. स्थानीय संगीत और नृत्य
राजस्थानी लोक संगीत और नृत्य त्योहार का अभिन्न हिस्सा हैं। गेर नृत्य, कालबेलिया, और घूमर जैसी प्रस्तुतियां दर्शकों का दिल जीत लेती हैं। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राजस्थान की सांगीतिक धरोहर की झलक मिलती है।
3. राजस्थानी व्यंजन
त्योहार के दौरान स्थानीय व्यंजन जैसे दाल-बाटी-चूरमा, घेवर, मिर्ची वड़ा और बाजरे की रोटी का स्वाद लेने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, ऊंट के दूध से बनी मिठाइयां और चाय पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
4. हस्तशिल्प और कला प्रदर्शनियां
स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित राजस्थानी हस्तशिल्प जैसे बंधेज, लहरिया, पॉटरी, और जूतियां यहां के बाजारों में देखने को मिलती हैं। ये वस्त्र और आभूषण राजस्थान की अनूठी कला और शिल्पकला का प्रतीक हैं।
पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण
कैमल फेस्टिवल में न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी पर्यटकों का भी बड़ा योगदान होता है। यह उत्सव उन्हें राजस्थान की परंपराओं, रीति-रिवाजों और स्थानीय जीवनशैली को करीब से समझने का अवसर देता है। पर्यटक ऊंट सफारी, फोटोशूट, और स्थानीय कलाकारों के साथ बातचीत का आनंद लेते हैं।
पर्यावरण संरक्षण और ऊंटों की भूमिका
त्योहार के दौरान ऊंटों की उपयोगिता और उनके संरक्षण पर भी जोर दिया जाता है। बदलते समय में ऊंटों की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए, इस त्योहार का उद्देश्य लोगों को उनके महत्व और संरक्षण के प्रति जागरूक करना है।
कैमल फेस्टिवल और स्थानीय अर्थव्यवस्था
यह त्योहार न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। हस्तशिल्प विक्रेता, होटल व्यवसायी, और लोक कलाकार इस अवसर पर अपनी कला और सेवाएं प्रदर्शित कर आर्थिक लाभ उठाते हैं।
कैसे पहुंचें बीकानेर?
बीकानेर राजस्थान के प्रमुख शहरों में से एक है, जो सड़क, रेल, और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: बीकानेर रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग: बीकानेर के लिए जयपुर, जोधपुर, और दिल्ली से बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है, जो बीकानेर से लगभग 250 किलोमीटर दूर है।
कैमल फेस्टिवल राजस्थान की संस्कृति और परंपराओं का एक अद्भुत संगम है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि पर्यावरण, पशु संरक्षण, और स्थानीय कला को बढ़ावा देने का भी माध्यम है। यह त्योहार हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है और उन्हें राजस्थान की जीवंतता और परंपराओं का अनुभव कराता है। बीकानेर का यह रंगीन और जीवंत उत्सव हर किसी के जीवन में एक बार अवश्य अनुभव करना चाहिए।
राजस्थान रो सिरताज हूँ रेगिस्तान रौ जहाज हूँ मैं ऊँट हूँ !!!
म्हारा घणा ही नाम है ! म्हारा घणा ही काम छै!!
भार मैं उठाऊँ और घुघरिया घमकाऊँ लोग म्हारा गीत गावे, सब रा मन हरखाऊँ।
म्हारौ एक गीत है घणौ ठाडौ, मरूधरिया धौराँ माँय चाले ऊँट गाडौ राजस्थान रौ सिरताज हूँ रेगिस्तान रौ जहाज हूँ मैं ऊँट हूँ !!!
म्है घणा दन तरौ रह सकूँ, तपतै तवड़ा नै सह सकूँ, मीलाँ तक बह सकूँ ! ! राजस्थान मै मिलूँ चारूँ कुँट हूँ ! मैं ऊँट हूँ!!