Ad image
°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar

Baijnath Ji Maharaj Padma Shri: कौन हैं लक्ष्मणगढ़ के बैजनाथ जी महाराज, जिनको 90 वर्ष की आयु में मिला पद्मश्री, जानें जीवन परिचय

°C | °F
📍 Detect Location
Loading weather...
Powered By FM Sikar

कौन हैं बैजनाथ जी महाराज? जानें लक्ष्मणगढ़ के महाराज, नाथ आश्रम के पीठाधीश्वर बनने से लेकर पद्मश्री मिलने तक का सफर

Rajasthan Desk
Written by: Rajasthan Desk - News
4 Min Read

Laxmangarh Baijnath Ji Maharaj Padma Shri: केंद्र सरकार ने भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा की है। इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित होने वालों में राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ के नाथ आश्रम के पीठाधीश्वर, बैजनाथ महाराज का नाम भी शामिल है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें उनके लंबे समय से अध्यात्म और धार्मिक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए दिया गया है। 90 वर्षीय बैजनाथ महाराज को यह सम्मान प्राप्त हुआ है, जो उनके जीवन के उत्कृष्ट कार्यों का प्रतीक है। उनका योगदान न केवल योग, संस्कृत, और वेदों के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, बल्कि उन्होंने समग्र समाज में धार्मिक जागरूकता फैलाने का भी भरपूर प्रयास किया है।

Advertisements

बैजनाथ महाराज ने 6 वर्ष की आयु में ली दीक्षा

बैजनाथ महाराज का जन्म 12 जून 1935 को लक्ष्मणगढ़ के पास पनलावा गांव में हुआ था। मात्र छह वर्ष की आयु में उन्होंने श्रद्धानाथ महाराज से दीक्षा ली और अध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोठ्यारी स्थित ग्राम भारती विद्यापीठ से की और इसके बाद नवलगढ़ के पौद्दार कॉलेज से बीए की डिग्री प्राप्त की।

1960 में बने नाथ आश्रम के पीठाधीश्वर

1960 में बैजनाथ महाराज को ग्राम भारती विद्यापीठ में प्रिंसिपल नियुक्त किया गया था, जो उस समय का एक प्रमुख स्कूल था। उन्होंने 1985 तक यहां प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया, और इसके बाद वे नाथ आश्रम के पीठाधीश्वर बने। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान जारी रखा और आश्रम में योग व वेदों की शिक्षा देने का कार्य शुरू किया।

Advertisements

यह भी जरूर पढ़ें...

उनके योगदान के कारण, नाथ आश्रम में आज भी देशभर से विद्यार्थी योग और वेदों का अध्ययन करने के लिए आते हैं। बैजनाथ महाराज ने जीवनभर अपने शिष्यों को नैतिक शिक्षा और धार्मिक जागरूकता की दिशा में मार्गदर्शन किया है। आश्रम में वे संस्कृत और योग के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं।

गृहस्थ जीवन से मोह भंग, तोड़ी सगाई

बैजनाथ महाराज के जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा भी है। उनका विवाह 12 वर्ष की आयु में दीनवा गांव में तय कर दिया गया था, लेकिन बैजनाथ महाराज का मन गृहस्थ जीवन में नहीं था। उन्होंने खुद जाकर सगाई को तोड़ दिया और फिर अपनी पढ़ाई के लिए मेहनत करने लगे। उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की, हालांकि उनके पिता ने इस पर असंतोष जताया था और उन्हें पढ़ाई का खर्च देने से मना कर दिया था।

Advertisements

आज भी बैजनाथ महाराज का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उनका कार्य सिर्फ एक आश्रम के माध्यम से नहीं, बल्कि उनके विचारों और शिक्षाओं के माध्यम से समाज को जागरूक करने का है। उनका मानना है कि शिक्षा और धार्मिक जागरूकता ही समाज के हर स्तर को सशक्त बना सकती है। बैजनाथ महाराज की पद्मश्री प्राप्ति उनके दीर्घकालिक प्रयासों और समर्पण का परिणाम है।

Want a Website like this?

Designed & Optimized by Naveen Parmuwal
Journalist | SEO | WordPress Expert

Contact Me
हमें फॉलो करें
Share This Article
Follow:
राजस्थान की सभी खबरें अब आपको मिलेगी 89.6 एफएम सीकर की वेबसाइट https://fmsikar.in/ पर। जुड़े रहिए हमारे साथ और पाइए राजस्थान की पल-पल अपडेट और सटीक खबरें।

Latest News

Facebook

- Advertisement -
- Advertisement -
News in Image Share Link