Geeta Jayanti 2024: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। मार्गशीर्ष माह में मनाई जाने वाली मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती भी कहते हैं। इस दिन भक्त भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की विशेष पूजा करते हैं और सुख-शांति की कामना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से सुख-शांति मिलती है और रुके हुए काम पूरे होते हैं।
गीता जयंती भगवद गीता के जन्म का प्रतीक है। सनातन धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान कृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
गीता जयंती 2024: तिथि और समय:-
तिथि प्रारंभ: 11 दिसंबर 2024, सुबह 03:42 बजे
तिथि समाप्त: 12 दिसंबर 2024, सुबह 01:09 बजे
इस बार गीता जयंती बुधवार के दिन 11 दिसंबर 2024, मनाई जाएगी, जो मोक्षदा एकादशी के साथ जुड़ी हुई है।
गीता: वेदांत का सार:-
भगवद गीता को ‘वेदांत दर्शन’ का सार कहा जाता है। इसमें जीवन के हर पहलू—धर्म, भक्ति, ज्ञान और कर्म—का गहन विश्लेषण किया गया है।
मानव जीवन पर प्रभाव:-
गीता के श्लोक न केवल धार्मिक हैं, बल्कि व्यक्तिगत, सामाजिक और मानसिक समस्याओं का समाधान भी देते हैं।
गीता जयंती पर होने वाली परंपराएं:-
गीता जयंती के दिन भक्तगण विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखते हैं। इस दिन को और अधिक पवित्र बनाने के लिए कई विशेष परंपराओं का पालन किया जाता है।
भगवद गीता का पाठ:-
गीता जयंती पर गीता के श्लोकों का पाठ किया जाता है। यह पाठ व्यक्ति के मन और आत्मा को शुद्ध करता है।
श्रीकृष्ण और वेद व्यास जी की पूजा
भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेद व्यास जी की पूजा के माध्यम से ज्ञान और धर्म की प्राप्ति की कामना की जाती है।
दान और सेवा
इस दिन दान और जरूरतमंदों की सेवा को विशेष महत्व दिया जाता है। यह मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है।
गीता जयंती का जीवन में महत्व:-
आध्यात्मिक उन्नति
गीता जयंती का पालन व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिकता और शांति का संचार करता है।
सामाजिक समरसता
गीता के उपदेश न केवल व्यक्तिगत जीवन को मार्गदर्शित करते हैं, बल्कि समाज में भी सद्भाव और एकता लाते हैं।
व्रत का महत्व:-
मोक्षदा एकादशी के व्रत से शरीर और मन शुद्ध होते हैं। यह आत्मा की मुक्ति और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
गीता जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू को समझने और उसे सार्थक बनाने का संदेश देती है। इस दिन गीता के उपदेशों को आत्मसात करना और उन्हें अपने जीवन में लागू करना, सच्चे अर्थों में गीता जयंती मनाना है।
“योग: कर्मसु कौशलम्” — इस उपदेश को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हम सफलता और शांति दोनों प्राप्त कर सकते हैं।