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Kharmas 2024: 15 दिसंबर से शुरू होंगे खरमास, मांगलिक कार्यों में रहेगी रोक, जानें मलमास में क्या करें और क्या नहीं

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Kharmas 2024: खरमास का नाम सुनते ही सनातन धर्म के अनुयायियों के मन में विशेष धार्मिकता और संयम का भाव जागृत हो जाता है। यह एक ऐसा समय है जब शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है और पूजा-पाठ का महत्व बढ़ जाता है। आइए जानें इस बार खरमास कब से शुरू हो रहा है, इसका धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी मान्यताएं।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
4 Min Read

Kharmas 2024: हिंदू धर्म में खरमास यानी मलमास का बड़ा महत्व है। खरमास उस अवधि को कहते हैं जब सूर्य गुरु बृहस्पति की राशियों (धनु और मीन) में प्रवेश करता है। इस दौरान गुरु ग्रह की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, जिससे शुभ कार्यों का परिणाम अनुकूल नहीं रहता।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य जब गुरु की सेवा में होते हैं, तो वे मांगलिक कार्यों में भाग नहीं लेते। इसलिए, इस महीने में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और भूमि पूजन जैसे शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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खरमास 2024 की तिथियां

इस वर्ष का दूसरा खरमास 15 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसका समापन 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

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खरमास में क्या करें:-

खरमास के दौरान धार्मिक कार्यों और दान-पुण्य का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इस समय किए गए पूजा-पाठ से दैवीय कृपा प्राप्त होती है।

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सूर्य देव की पूजा:- प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें और उनकी आराधना करें।

भगवान विष्णु की उपासना:- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और विष्णु मंदिर में दर्शन करें।

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तुलसी पूजा का महत्व:- तुलसी में दीपक जलाना और जल अर्पित करना शुभ माना जाता है। तुलसी पूजा से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

दान का महत्व:- इस अवधि में अन्न, धन और वस्त्रों का दान करें। यह पुण्य फलदायी माना जाता है।

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खरमास में क्या न करें:-

खरमास के दौरान कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं:

शुभ कार्य न करें: विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश और नई परियोजनाओं की शुरुआत न करें।

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वाहन और संपत्ति न खरीदें: इस समय नई गाड़ी या जमीन खरीदने से बचें।

तामसिक भोजन से बचें: मांसाहार और शराब का सेवन न करें।

तुलसी पूजा और खरमास का संबंध:-

खरमास के दौरान तुलसी पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी पूजा से नकारात्मकता का नाश होता है और ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।

तुलसी में दीपदान और जलदान: तुलसी के पौधे में सुबह जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जलाएं।

क्या न चढ़ाएं: तुलसी पर सिंदूर, सुहाग सामग्री या पत्ते तोड़कर चढ़ाने की मनाही है।

खरमास का धार्मिक महत्व:-

खरमास के दौरान केवल धार्मिक कार्यों पर ध्यान देना चाहिए।

पुण्य कर्म: जप, तप, दान और ध्यान करें।

आध्यात्मिक लाभ: इस समय की गई साधना से मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

समृद्धि का मार्ग: भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा से जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं।

खरमास एक ऐसा समय है जो संयम और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में अनुशासन और संतुलन लाने का भी एक साधन है। इस अवधि में पूजा-पाठ और दान-पुण्य के माध्यम से अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करें।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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