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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा जयंती 2024 कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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विश्वकर्मा जयंती 2024 (वास्तुकारों का विशेष पर्व) : सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार माना जाता है, जिन्होंने महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र और अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया। इस कारण, हर वर्ष उनकी जयंती विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है। आइए, इस पावन अवसर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पर दृष्टि डालते हैं।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
3 Min Read

विश्वकर्मा जयंती 2024 (वास्तुकारों का विशेष पर्व) : सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का पहला वास्तुकार माना जाता है, जिन्होंने महादेव का त्रिशूल, सुदर्शन चक्र और अनेक दिव्य अस्त्र-शस्त्र का निर्माण किया। इस कारण, हर वर्ष उनकी जयंती विशेष उत्साह के साथ मनाई जाती है। आइए, इस पावन अवसर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी पर दृष्टि डालते हैं।

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विश्वकर्मा जयंती की तिथि और महत्व:

इस साल 2024 में कन्या संक्रांति 16 सितंबर को है, इसलिए विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा पूजा भी इसी दिन की जाएगी।

  • इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर लगभग 11:42 तक रहेगा।
  • इसके साथ अभिजीत मुहूर्त 11:51 से 12:40 तक रहने वाला है।
  • इस समय में विश्वकर्मा भगवान की पूजा करना शुभ माना जाएगा।

विश्वकर्मा जयंती विशेष रूप से वास्तुकारों, इंजीनियरों, और निर्माण कार्य में जुड़े लोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दिन उनके कार्यों की सफलता और समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

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पूजा की विधि और नियम:

विश्वकर्मा जयंती के दिन पूजा करने का विशेष महत्व है। इसे सही विधि से करने पर भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यहां पूजा के कुछ प्रमुख नियम दिए गए हैं:
स्नान और साफ-सफाई: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल की सफाई करें। जहां भी पूजा की जा रही हो, उस स्थान पर गंगा जल का छिड़काव करें।

पूजा की तैयारी:

  • पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं और भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें।
  • प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक करें और हल्दी का तिलक लगाएं।
  • देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान को पुष्प अर्पित करें।
  • भोग और आरती: पूजा के दौरान फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप करें और आरती से पूजा समाप्त करें।
  • अंत में अपने व्यवसाय से जुड़े उपकरणों की पूजा करना न भूलें।
  • भगवान विश्वकर्मा के पूजन मंत्र पूजा  के दौरान किया जाता है: ॐ आधार शक्तपे नम:ॐ कूमयि नम: ॐ अनन्तम नम:पृथिव्यै नम:

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई है। इसे महज सूचना के रूप में समझें। इसके उपयोग की जिम्मेदारी पूरी तरह से पाठक की ही रहेगी।विश्वकर्मा जयंती 2024 के इस पावन पर्व पर, भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करें।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।

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