Gupt Navratri 2024 Dates, Ashada Navratri 2024, आषाढ़ माह नवरात्रि 2024: आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 2024 में 6 जुलाई से शुरू होकर 16 जुलाई तक चलेगी। यह नवरात्रि विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना के लिए जानी जाती है।
एक वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं, जिनमें दो गुप्त नवरात्रि और दो उदय नवरात्रि शामिल हैं। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के रूप में प्रसिद्ध हैं, जबकि चैत्र और आश्विन की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से जानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान, देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। ये महाविद्याएं हैं: मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी। इन दस महाविद्याओं की उपासना विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं और शक्ति साधनाओं से जुड़ी होती है। साधक कठोर नियमों का पालन करते हुए व्रत और साधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि 2024 तिथियां और शुभ मुहूर्त (Gupt Navratri 2024 Tithi)
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024: तिथि और समय
- प्रतिपदा तिथि आरंभ – 06 जुलाई 2024 – 04:26 पूर्वाह्न
- प्रतिपदा तिथि समाप्त – 07 जुलाई 2024 – 04:26 पूर्वाह्न
- घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 05:13 बजे से 09:39 पूर्वाह्न
- घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:25 बजे से
गुप्त नवरात्रि 2024 का महत्व
गुप्त नवरात्रि में भी नौ दिनों तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रतिपदा के दिन घट स्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। इस दौरान कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना, दान देना और शक्ति अनुसार वस्त्र, आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री भेंट करना शुभ माना जाता है।
देवी भागवत पुराण के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना से साधक दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते हैं। यह नवरात्रि तांत्रिक क्रियाओं और विशेष साधनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि 2024 पूजा विधि (Ashadha Gupt Navratri 2024 Puja Vidhi )
पूजा अनुष्ठान सुबह जल्दी उठें और पूजा शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें। घर और पूजा कक्ष को साफ करें और रंगोली और फूलों से सजाएं। सबसे पहले घटस्थापना करें और शुभ मुहूर्त पर कलश स्थापना करे। चौकी पर देवी दुर्गा की मूर्ति रखें और फिर मूर्ति को चुन्नी, सिंदूर, हल्दी, मेहंदी और चूड़ियां जैसी श्रृंगार वस्तुओं से सजाएं। देसी घी के साथ एक दीया जलाएं, माला और गुड़हल का फूल चढ़ाएं जो देवी दुर्गा का प्रिय फूल है। पान, फल और सूखे मेवे चढ़ाएं। दुर्गा माता को समर्पित विभिन्न मंत्रों का जाप करें और फिर दुर्गा सप्तशती पाठ का पाठ करें। इसे पूरा करने के बाद, शाम तक उपवास अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए और फिर भक्त फलों, दूध उत्पादों और सूखे मेवों के साथ अपना व्रत तोड़ सकते हैं।