Bhagwan Vishnu Mystery-हिंदू धर्म में सबसे मुख्य भगवान त्रिदेवों को कहा गया है जो इस सारे संसार के पालन कर्ता हैं। इनमें ब्रम्हा, विष्णु और महेश यानी भगवान शंकर हैं। वैसे तो भगवान विष्णु एक ही हैं लेकिन हिंदू ग्रंथों में तीन भगवान विष्णु का जिक्र किया गया है। इसके पीछे का क्या रहस्य हो सकता है? विष्णु भगवान संसार को सुचारू रूप से चलाने का काम करते हैं और इंसानों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं। आइए जान लेते हैं की हिंदू ग्रंथों और शास्त्रों में भगवान विष्णु को तीन तीन क्यों बताया गया है।
जानें भगवान विष्णु के तीनों रूपों के बारे में (Bhagwan Vishnu Mystery )
धर्म शास्त्रों में तीन भगवान विष्णु का जिक्र किया गया है और वह हैं : कर्णोदक्षै विष्णु, गर्भोदक्षै विष्णु और क्षीरोदक्षाई विष्णु।
कर्णोदक्षाई विष्णु को महा विष्णु भी कहा जाता है। यह अवतार गोलोक धाम में निवास करने वाले भगवान श्री कृष्ण ने लिया था। श्री कृष्ण के महा विष्णु अवतार जब सांस छोड़ते हैं तब उनके नाक के छिद्रों से अनेकों ब्रम्हांड की उत्पत्ति होती है। जितने भी ब्रम्हांड उत्पन्न होते हैं उनमें एक एक विष्णु स्थापित होते हैं और उन्हें ही गर्भोदक्षाई विष्णु कहा जाता है। इन्हीं विष्णु के ऊपर ही सारी सृष्टि का भार टिका हुआ है। विष्णु जी के इन्हीं रूप की नाभि से ब्रम्हा जी उत्पन्न हुए थे। जितने भी ब्रम्हांड हैं उन सब में एक एक विष्णु हैं और साथ ही एक एक ब्रम्हा भी हैं।
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सबसे आखिर में क्षीरोदक्षाई विष्णु आते हैं जो क्षीर सागर में मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं। यह सृष्टि के कण कण में मौजूद हैं और हम भगवान विष्णु के इन्हीं अवतार की पूजा करते हैं। इन्हीं विष्णु के अवतार की पूजा का विधि विधान हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में किया गया है। भगवान विष्णु इन तीन रूपों में बंटे हुए हैं और यह सभी रूप श्री कृष्ण से अवतरित हुए हैं।
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