Sakat Chauth 2024 date time: हिंदू धर्म में सकट चौथ का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2024 date time) का व्रत हर वर्ष माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। सकट चौथ को तिलकुटा चौथ, तिल चौथ, माघी चौथ, संकष्टी चतुर्थी और लंबोदर चतुर्थी आदि नाम से भी जाना जाता है। सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश जी को समर्पित होता है। मान्यता है कि जो भी सकट चौथ का व्रत रखता है, भगवान गणेश उसके सभी विघ्न हरते हैं। शास्त्रों में संकष्टी चतुर्थी से जुड़े कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं, जिनको अपनाने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। तो चलिए जानते हैं इस बार कब है संकष्टी चतुर्थी का व्रत और इस दिन किस प्रकार भगवान गणेश की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
कब है सकट चौथ 2024 (Sakat Chauth 2024 kab hai)
ज्योतिष पंचांग के अनुसार, इस बार माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 जनवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन तीन शुभ मुहूर्त जिसमें ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:35 से 6:23 तक, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:17 से 1:01 तक, अमृत काल सुबह 11:44 से 1:32 तक रहेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात 9:18 रहेगा। ऐसे में आप व्रत पारण इस समय कर सकते हैं।
संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि (Sakat Chauth 2024 Puja Vidhi)
इस दिन प्रातः काल सूर्य उदय से पहले उठकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। चौकी पर श्री गणेश और चौथ माता की फोटो या दुर्गा मां की फोटो रखें और फिर पूजा प्रारंभ करें। सबसे पहले गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह सजा लें। भगवान गणेश और माता को तिलक लगाएं, फूल अर्पित करें। तांबे के कलश में पानी, धूप चंदन और प्रसाद के रूप में तिल और गुड़ के लड्डू, केला या नारियल रख लें। फिर धूप दीप जलाएं और भगवान को तिल और गुड़ का भोग लगाएं। फिर कहानी को आरंभ करें। पूजा करते समय पूर्व और उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Sakat Chauth 2024 Fast Rules)
इस व्रत को महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए रखती हैं। इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं और मनोकामनाए पूर्ण होती हैं। इस दिन सभी भक्तों को तिल और गुड़ का सेवन जरूर करना चाहिए। संकष्टी चतुर्थी सभी बाधाओं को दूर करता है, जीवन में धन, समृद्धि और सफलता लाता है, ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, महाभारत काल में श्री कृष्ण की सलाह पर पांडव धर्मराज युधिष्ठिर ने सबसे पहले यह व्रत रखा था तब से अब तक महिलाएं अपने पुत्र की कुशलता के लिए व्रत रखती आ रही हैं।