Live in Relationship in Rajasthan- राजस्थान प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर एक नया सख्त कानून आने वाला है, जिसमें लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित नियम क़ानून भी बनेंगे। राजस्थान सरकार द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया जा रहा है। पूर्व में उत्तराखंड के अंदर धर्मांतरण संबंधित कानून बनाया जा चुका है, इसी के तर्ज पर राजस्थान के अंदर भी यह कानून बनाया जा सकता है।
गौरतलब है कि जो पुराने बिल अभी वर्तमान में है उनमें परिवर्तन किया जा रहा है, जिसमें कड़े कानून को शामिल किया जाएगा। जिसके लिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि जो जोड़े लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं उनके लिए रजिस्ट्रेशन बहुत जरूरी है। मतलब इन जोड़ों का रजिस्ट्रेशन अब अनिवार्य हो जाएगा।
बिना रजिस्ट्रेशन के साथ नहीं रह सकता अविवाहित जोड़ा
राजस्थान हाई कोर्ट ने 3 साल पहले लिविंग रिलेशनशिप को लेकर कड़े फैसले सुनाए थे। कोर्ट के इस अहम फैसले के मुताबिक, एक शादीशुदा और अविवाहित लिव-इन-रिलेशनशिप में नहीं रह सकते। उनका यह रिश्ता कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगा। इस तरह के जोड़े को कानून द्वारा किसी भी प्रकार की सुरक्षा नहीं मिलेगी। यह फैसला एक जोड़े द्वारा कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से कोर्ट में याचिका लगाई थी जिसमें युवक शादीशुदा था एवं जो महिला थी वह अविवाहित थी और यह याचिका जस्टिस पंकज भंडारी द्वारा खारिज कर दी थी।
लिव इन रिलेशनशिप के कानूनी प्रावधान-
राजस्थान सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक मामले का हवाला देते हुए बताया गया था कि जो लाइव इन रिलेशनशिप के जोड़े हैं उन्हें शादीशुदा जोड़ों की तरह रहना चाहिए और जो लिव इन में रहने की उम्र है वह भी शादी की उम्र होनी चाहिए।
क्या होता है लिव इन रिलेशनशिप –
यदि एक जोड़ा शादीशुदा न होते हुए भी शादीशुदा जोड़े की तरह रहता है तो उसे “लिव इन रिलेशनशिप” कहा गया है जिसे सामाजिक एवं धार्मिक स्तर पर मान्यता नहीं मिली हुई है लेकिन कानून की नजरों में इसे कोई अपराध नहीं माना गया है।
कानून स्तर पर लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता मिलना उसका रजिस्ट्रेशन हो जाना आने वाले वक्त के अंदर एक फायदे का सौदा हो सकता है। ताकि किसी प्रकार की समस्या जोड़ों को ना हो।
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