अगर हम हिंदू धर्म के पुराणों को पढ़ें तो उनके अनुसार आज भी प्राचीन काल के कई ऋषि मुनि जीवित हैं। इनमें वशिष्ठ, अत्री, विश्वामित्र, राजा बलि, हनुमान, विभीषण आदि शामिल हैं। जामवंत के बारे में भी यह कहा गया है की यह विद्वान हैं। इन्हें सारे वेद पुराण याद हैं। परशुराम और हनुमान जी के बारे एक जामवंत ही ऐसे हैं जिनका वर्णन तीनों युगों में होने का किया गया है। जामवंत को पुराणों के मुताबिक आज भी जीवित बताया गया है। आइए जान लेते हैं वेदों में वर्णित जामवंत के जीवन से जुड़ी कुछ रहस्यमई बातों के बारे में।
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- राजा बलि के समय में जामवंत जी का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है की इनकी उम्र परशुराम और हनुमान जी से भी लम्बी है। ऐसा कहा गया है की परशुराम से बड़े हैं जामवंत और जामवंत से बड़े हैं राजा बलि। रामायण जैसे ग्रंथों में जामवंत का वर्णन भालू और मानव शरीर की तरह किया गया है।
- वेदों के अनुसार जामवंत को चिरंजीवियों में शामिल किया गया है और यह कलयुग के अंत तक रहेंगे। इनका जन्म सतयुग में अग्नि पुत्र के रूप में हुआ था। यह देवताओं की सहायता के लिए हुए थे और यह राजा बलि के काल में भी थे।
- ऐसा माना जाता है की भगवान ब्रह्मा ने दो पैरों पर चल सकने वाला और बातें करने वाला एक रीछ मानव बनाया था। भगवान श्री राम के काल में जामवंत बूढ़े हो गए थे और इन्होंने हनुमान जी से समुद्र लांघने की विनती की थी। इनका काम हनुमान को उनका बल याद दिलाना था। इन्होंने ही हनुमान जी को हिमालय में प्राप्त होने वाली जड़ी बूटियों के बारे में बताया था।
- भगवान श्री राम और रावण के युद्ध के समय जामवंत श्री राम के सेनापति थे और युद्ध समाप्त होने पर इनमें घमंड आ गया था। इस पर भगवान श्री राम ने जामवंत को अगला रूप धारण होने तक तपस्या करने के लिए कहा।
द्वापर युग में जामवंत ने कोहिनूर हीरे को धारण किया था।
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