Who Is Sukumar Sen: चुनावी माहौल के बीच एक नई फिल्म की घोषणा हुई है। देश के पहले चुनाव आयुक्त के जीवन पर फिल्म बनने जा रही है। भारत के पहले चुनाव आयुक्त पर बायोपिक (Biopic On Sukumar Sen) बनाने की घोषणा की गई है। बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर सिद्धार्थ रॉय कपूर के प्रोडक्शन हाउस ‘रॉय कपूर फिल्म्स’ (आरकेएफ) ने ये खुशखबरी दी है। चुनाव को लेकर देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन का कंट्रीब्यूशन भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखकर ये बायोपिक बनने वाली है।
चुनाव चिन्ह से लेकर तमाम योगदान सुकुमार सेन ने दिए
इसकी जानकारी देते हुए फिल्म निर्माता ने कहा है कि सुकुमार सेन ने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास को नया आयाम, आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चुनाव चिह्न और रंगों द्वारा राजनीतिक दलों की पहचान करने के सिस्टम से लेकर तमाम गड़बड़ियों से बचने के लिए उंगली पर अमिट स्याही लगाने की सोच तक… सुकुमार सेन की देन है। आज चुनाव को उनकी वजह से ही बेहतर तरीके कराया जा रहा है। आज भी उनके कई इनोवेशन हमारे काम आ रहे हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर इस फिल्म को बनाया जाएगा।
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सुकुमार सेन के पोता ने कही ये बात
इस खबर के आने के बाद सुकुमार सेन के परिवार में खुशी की लहर है। सुकुमार सेन के योगदान के लिए ये बहुत बढ़िया है। सुकुमार सेन के पोते संजीव ने मीडिया को बताया है कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक इसका सफल लोकतंत्र रहा है। लोकतंत्रों की नींव स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव है। इसके लिए श्रेय सुकुमार सेन को जाता है, जो मेरे दादा और स्वतंत्र भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
सुकुमार सेन कब से कब तक थे चुनाव आयुक्त
मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी के अनुसार, सुकुमार सेन भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे। इनका कार्यकाल साल 1950 से लेकर साल 1958 तक रहा। सुकुमार सेन करीब 8 साल तक मुख्य चुनाव आयुक्त थे। इस दौरान उन्होंने चुनाव की रूपरेखा से लेकर तमाम चीजों को तैयार किया था। तब जाकर आजाद भारत में चुनाव बढ़िया तरीके से किया जाने लगा।
आजादी के दो साल बाद चुनाव आयोग का गठन
जानकारी के अनुसार, 1947 में भारत की आजादी के करीब दो साल बाद, मार्च 1950 में भारतीय चुनाव आयोग का गठन हुआ था। सुकुमार सेन को उसका पहला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। फिर करीब एक माह बाद संसद में लोक प्रतिनिधत्व कानून पारित हुआ। संसद में इस अधिनियम के प्रस्ताव को पेश करते समय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) 1951 के बसंत की शुरुआत में होने की उम्मीद जताई थी।
भारत के पहले आम चुनाव में मतदाताओं की संख्या
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जब पहली बार चुनाव का आयोजन किया गया था तो उस दौरान 173,212,343 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 105,950,083 ने अपने नए प्राप्त मतदान अधिकार का प्रयोग किया था। उस दौरान बेहतरीन तरीके से चुनाव कराया गया था।
सुकुमार सेन की पढ़ाई
देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की पढ़ाई-लिखाई देश और विदेश में हुई। वर्ष 1899 में सुकुमार सेन का जन्म बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बंगाल में जन्मे सुकुमार सेन की प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुई। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई की और फिर विदेश चले गए थे। सुकुमार सेन ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से पढ़ाई की थी। लंदन विश्वविद्यालय में गणित विषय में स्वर्ण पदक मिला था। उसके बाद भारत आने के बाद उन्होंने चुनाव को लेकर अहम भूमिका निभाई। बता दें, सुकुमार सेन एक गणतिज्ञ थे जो आगे चलकर सिविस सेवा के क्षेत्र में आए।
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