Patanjali Misleading Advertising Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) को जोरदार फटकार पड़ी। जिसके बाद बाबा रामदेव ने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी। मामला पंतजलि के भ्रामक विज्ञापन से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान पंतजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु बाबा रामदेव को पेश होने का आदेश दिया था। जिसके बाद दोनों आज सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जोरदार फटकार लगाते हुए कहा कि आपको कोर्ट में दिए गए वचन का पालन करना होगा। आपने हर सीमा को तोड़ दिया है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को लेकर कहा कि जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था।
21 नवंबर, 2023 को कोर्ट ने कंपनी से कहा था कि वह कथित रूप से कोई भ्रामक विज्ञापन जारी न करे या मीडिया के सामने “औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाले या किसी भी चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ़ कोई भी बयान न दे। इस साल 27 फरवरी को अदालत ने कंपनी और बालकृष्ण को एक विज्ञापन जारी करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए पिछले आदेश का कथित रूप से उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया। 19 मार्च को, पीठ ने पाया कि 27 फरवरी के नोटिस पर कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया था, जिसके बाद रामदेव को भी नोटिस जारी करने का फैसला किया।
अदालत ने कहा, “यह पूरी तरह से अवज्ञा है। केवल सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, बल्कि देश भर की अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए।” अदालत ने केंद्र की खिंचाई करते हुए पूछा कि आयुष मंत्रालय ने “जब पतंजलि यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है, तो उसने अपनी आँखें क्यों बंद कर लीं।”
पतंजलि ने अपनी याचिका में मांग की कि विज्ञापन मामले में ताजा हलफनामा दायर करने के लिए थोड़े अधिक समय की मांग की एवं गुरु रामदेव ने पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर अदालत से बिना शर्त माफी भी मांगी।
अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण को एक सप्ताह में मामले में अपना हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी।