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Rajasthan Big News: राजस्थान में नहीं जाएगी 15 लाख नौकरियां, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला

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Rajasthan Big News: राजस्थान में हजारों श्रमिकों और खनन उद्योग को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में खनन कार्यों को जारी रखने की अनुमति दी है। यह फैसला लगभग 15 लाख लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिनकी रोज़ी-रोटी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के खनन पट्टों को बंद करने के निर्देश के बाद खतरे में थी। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी।

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Written by: FM Sikar
2 Min Read

Rajasthan Big News: राजस्थान में हजारों श्रमिकों और खनन उद्योग को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में खनन कार्यों को जारी रखने की अनुमति दी है। यह फैसला लगभग 15 लाख लोगों के लिए एक बड़ी राहत है जिनकी रोज़ी-रोटी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के खनन पट्टों को बंद करने के निर्देश के बाद खतरे में थी। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी।

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पर्यावरण संबंधी नियमों के पालन को लेकर हुई कानूनी लड़ाई के कारण राजस्थान में लगभग 23,000 खदानें बंद होने की कंगार पर आ गई थी, जिससे अनगिनत परिवारों की नौकरी पर भी संकट खड़ा हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: एक बड़ी राहत

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए खनन कार्यों को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ कर दिया। राजस्थान सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष कई तर्क ​रखे और उन्होंने 23,000 प्रभावित खनन लाइसेंसों के लिए पर्यावरण नियमों को पूरा करने के लिए राज्य के लिए समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। न्यायालय ने इस अनुरोध को स्वीकार करके राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) को NGT के निर्देशों के अनुरूप गहन मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन करने के लिए जरूरी समय प्रदान किया है।

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एनजीटी के निर्देशों और एसईआईएए को आई मुश्किल

एनजीटी के आदेश के अनुसार, जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (डीईआईएए) से पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने वाले खनन पट्टों का एसईआईएए द्वारा पुनर्मूल्यांकन किया जाना था। लेकिन एसईआईएए को अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और कर्मचारियों सहित कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जिससे समय सीमा के भीतर इस आदेश को पूरा करने में मुश्किल हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला एसईआईएए को इन जरूरी मूल्यांकनों को करने के लिए समय देने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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