Phulera Dooj Abujh Muhurat 2025: फुलेरा दूज, एक ऐसा पावन पर्व है जो प्रेम, भक्ति और रंगों के आनंदमय संगम का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के दिव्य प्रेम को समर्पित है, और इसे पूरे भारत में, विशेष रूप से ब्रजभूमि में, बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। 2025 में, यह शुभ अवसर 1 मार्च को मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Phulera Dooj 2025 Tithi Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। वर्ष 2025 में, यह तिथि इस प्रकार है:
- आरंभ: 1 मार्च 2025, रात्रि 03:16 बजे।
- समाप्ति: 2 मार्च 2025, रात्रि 12:09 बजे।
- पर्व मनाने का दिन: 1 मार्च 2025 (उदयातिथि के अनुसार)
शुभ मुहूर्त:
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- अमृत काल: सुबह 04:40 से 06:06 बजे तक।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:07 से 05:56 बजे तक।
फुलेरा दूज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
फुलेरा दूज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अतुलनीय है:
- राधा-कृष्ण का प्रेम: यह त्योहार राधा-कृष्ण के निस्वार्थ और दिव्य प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ फूलों की होली खेली थी, जिससे यह पर्व रंगों और फूलों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- अबूझ मुहूर्त: फुलेरा दूज को ‘अबूझ मुहूर्त’ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने या मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। यह दिन विवाह, गृह प्रवेश, और नए व्यवसाय की शुरुआत जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- ब्रज की परंपरा: ब्रजभूमि में, विशेष रूप से वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में, फुलेरा दूज को एक भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है, और भक्त राधा-कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। फूलों की होली खेली जाती है, और पूरा वातावरण भक्तिमय और आनंदमय हो जाता है।
- माखन-मिश्री का भोग: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है, जो उनके प्रिय व्यंजनों में से एक है।
फुलेरा दूज पर पूजा विधि
फुलेरा दूज पर राधा-कृष्ण की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, पूजा का संकल्प लें।
- सूर्य को अर्घ्य: सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- राधा-कृष्ण का अभिषेक: राधा-कृष्ण की मूर्तियों को जल और दूध से अभिषेक करें।
- पुष्प अर्पण: मूर्तियों को फूलों से सजाएं और उन पर पुष्प वर्षा करें।
- मंत्र जप और आरती: कृष्ण मंत्रों का जाप करें और राधा-कृष्ण की आरती करें।
- भोग अर्पण: भगवान को माखन-मिश्री, खीर और फलों का भोग लगाएं।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
विवाह के लिए शुभ दिन (Abujh Muhurat on Phulera Dooj 2025)
फुलेरा दूज को विवाह के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन विवाह करने से दांपत्य जीवन में सुख, शांति और प्रेम बना रहता है। यह सर्दी के मौसम का अंतिम विवाह मुहूर्त माना जाता है।
फुलेरा दूज का सामाजिक संदेश
फुलेरा दूज न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें प्रेम, सद्भाव और एकता का महत्व सिखाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में प्रेम और खुशियों के रंगों को भरना चाहिए और दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।