Kadmaa Ka Bas: आज जन्माष्टमी है। भगवान कृष्ण के जन्मदिन पर हम जानेंगे कि सीकर के किस गांव में श्री कृष्ण प्रकट हुए थे। साथ ही कृष्ण भगवान के कदम्ब का पेड़ भी वहां है।
वैसे तो हम जानते हैं कि सीकर का धार्मिक इतिहास भी रहा है। यहां पर कई पौराणिक मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक गांव ऐसा भी है जहां पर भगवान कृष्ण के प्रकट होने की बात कही जाती है। ऐसा मानना है कि कदम्ब के पेड़ पर श्री कृष्ण की देन हैं। इसलिए ये जगह आज भी पूजनीय है।
सीकर का गांव जहां प्रकट हुए थे श्री कृष्ण
सीकर के जिस गांव की बात हम कर रहे हैं वो है- कदमा का बास। ये वही गांव है जहां पर श्री कृष्ण प्रकट हुए थे। इस बात जिक्र यहां के स्थानीय लोग करते हैं। राजस्थान में इस गांव को लेकर आस्था है। साथ ही भगवान के भक्त इस गांव में एक बार जरूर आते हैं।
कदमा का बास गांव का महाभारत काल से रिश्ता
कदमा का बास गांव मुख्य शहर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है। श्री कृष्ण के साक्षात प्रगट होने की मान्यता है। जिसका गवाह गांव का नाम व यहां मौजूद कदम्ब के पेड़ व तालाब बताए जाते हैं।
कई जानकार कहते हैं कि महाभारत काल में अकाल पड़ने पर कर्दम ऋषि ने इस गांव में तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने उन्हें यहीं दर्शन दिए। भगवान के कदम इस धरती पर पड़ते ही इसका नाम “कदमा का बास” गांव पड़ गया।
श्री कृष्ण के सात कदम के साथ उगे थे ये पेड़
रघुनाथ व राधा- कृष्ण मंदिर के महंत श्रीराम शर्मा ने राजस्थान पत्रिका को बताया था कि भगवान यहां सात कदम चले थे। जहां पर कदम पड़े कदम्ब के पेड़ उग आए। हालांकि, एक पेड़ लुप्त हो गया लेकिन अभी भी 6 पेड़ तालाब के किनारे हैं। कदमा का बास गांव का उल्लेख हर्ष शिलालेख में भी है। जिसमें कर्दमखत नाम से इसे राजा वत्स द्वारा दान किया गया था।
कदमा का बास गांव में लगता है मेला
कदमा का बास गांव की मान्यता तीर्थ स्थल के रूप में है। जहां हर साल भाद्रपद अमावस्या को मेले का भी आयोजन होता है। जिसमें हजारों लोग दूर दराज से भी पहुंचकर तालाब में स्नान करते हैं, कदंब के पेड़ की पूजा करते हैं और मंदिर में भगवान के दर्शन करते हैं।
डिस्क्लेमर- यह स्टोरी अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर लिखी गई है। धार्मिक जानकारों की इसमें आस्था है। इसके तथ्यों की पुष्टि FM Sikar नहीं करता है।