FIR Rajasthan Police: एफआईआर को लेकर पुलिस वाले कई बार मनमानी करते हैं। खासकर, दूसरे थाना का मामला हो तब तो एफआईआर दर्ज ही नहीं करते। मगर अब ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि FIR करने को लेकर पुलिस महानिदेशक यूआर साहू ने नया निर्देश दिया है।
जनता को रिपोर्ट दर्ज कराने में परेशानी ना हो और आरोपियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई हो, इसलिए राजस्थान के पुलिस महानिदेशक यूआर साहू ने शुक्रवार को जीरो नंबर एफआइआर, ई-एफआइआर और प्राथमिक जांच दर्ज करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए।
दूसरे थाना क्षेत्र की रिपोर्ट दूसरे थाना में हो सकती है दर्ज
अब पुलिस वाले ये नहीं कह सकते हैं कि दूसरे थाना का मामला है तो वहीं जाकर रिपोर्ट करिए। क्योंकि, पुलिस महानिदेशक ने साफ तौर पर कहा है कि दूसरे थाना के मामले को भी जीरो नंबर एफआईआर करके संबंधित थाने को सूचित करना है।
जीरो नंबर की एफआइआर
जीरो नंबर की एफआइआर गंभीर अपराध के पीड़ितों, नि:शक्त, महिलाओं व बच्चों के लिए है। ताकि एक से दूसरे पुलिस थाने भेजे बिना ही शीघ्र आगे की कार्रवाई हो पाए। इससे इन लोगों को सुविधा भी मिले। साथ ही इसकी सूचना पुलिस अधीक्षक के कार्यालय को दी जाए। इतना ही नहीं पीड़ित घायल है तो उसके इलाज की व्यवस्था भी करनी होगी।
14 दिन के भीतर जांच करनी होगी
इस दौरान महानिदेशक ने ये भी बताया कि थानाधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि कार्रवाई करने के लिए प्रथम दृष्टयता मामला बनता है या नहीं। खासकर, ऐसे अपराध जिनमें कम से कम 3 वर्ष और अधिकतम 7 वर्ष कारावास के दंड का प्रावधान हो। ऐसे मामलों की जांच 14 दिन के अंदर ही करनी है।
एससी-एसटी के मामले पर तुरंत हो रिपोर्ट
डीजीपी साहू ने बताया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 कानूनी रूप से इस प्रावधान के अंतर्गत नहीं आता है। इसलिए एफआइआर किसी भी प्राथमिक जांच के बिना दर्ज की जानी चाहिए। इस तरह के मामलों में ढिलाई नहीं करनी है।