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सरकार का बड़ा फैसला: एक मई से बंद होगा FASTag, अब KM के हिसाब से कटेगा टोल, जानें कैसे काम करेगा GNSS सिस्टम- New Toll System

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New Toll System: 1 मई से भारत में बदल रहा है टोल सिस्टम! FASTag की जगह अब GNSS तकनीक से कटेगा टोल। जानें कैसे काम करेगा यह नया सैटेलाइट-आधारित सिस्टम, क्या होगा FASTag का और कैसे बचेगा आपका समय व पैसा। पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।

Rajasthan Desk
Written by: Rajasthan Desk - News
Updated: April 17, 2025 09:18 PM (IST)

New Toll System: अगले महीने से भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने का तरीका पूरी तरह बदलने वाला है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने एक ऐसी सिस्टम तैयार की है, जिसमें अब आपको टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह नई तकनीक FASTag को रिप्लेस करेगी और सीधे आपके बैंक अकाउंट से आपके द्वारा तय की गई दूरी के हिसाब से टोल काटेगी।

कैसे काम करेगी यह नई तकनीक?

इस सिस्टम में जीपीएस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। जैसे ही आपका वाहन हाईवे पर चलेगा, सैटेलाइट उसकी लोकेशन और तय की गई दूरी को ट्रैक करेगा। फिर इसी हिसाब से आपके बैंक अकाउंट से टोल की रकम स्वतः कट जाएगी। यह सिस्टम 1 मई से शुरू होगा, हालांकि शुरुआत में इसे कुछ चुनिंदा हाईवे पर ही टेस्ट किया जाएगा।

FASTag से कितना अलग होगा GNSS?

अभी तक FASTag सिस्टम में आपको टोल प्लाजा पर रुककर अपना टैग स्कैन कराना पड़ता था, जिससे कई बार लंबी कतारें लग जाती थीं। लेकिन नए सिस्टम में ऐसी कोई दिक्कत नहीं होगी। यहां तक कि अगर आप एक ही हाईवे पर कई बार आते-जाते हैं, तो भी आपको हर बार टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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समय और पैसे दोनों की बचत

इस नई व्यवस्था का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपका कीमती समय बचेगा। साथ ही, जब आपका वाहन टोल प्लाजा पर रुकेगा नहीं, तो ईंधन की खपत भी कम होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, यह सिस्टम न सिर्फ यात्रियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि इससे सरकार को भी टोल कलेक्शन में पारदर्शिता मिलेगी।

क्या होगा FASTag का?

शुरुआत में यह नया सिस्टम FASTag के साथ-साथ चलेगा। यानी अगर आप चाहें तो FASTag का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर नए GNSS सिस्टम पर शिफ्ट हो सकते हैं। हालांकि, भविष्य में धीरे-धीरे FASTag को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।

क्या यह सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित है?

इस सवाल का जवाब देते हुए NHAI के अधिकारियों ने बताया कि इस सिस्टम में डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी का पूरा ध्यान रखा गया है। सैटेलाइट ट्रैकिंग के जरिए सिर्फ वाहन की लोकेशन और दूरी को ही मापा जाएगा, न कि किसी व्यक्तिगत जानकारी को एक्सेस किया जाएगा।

क्या होगा अगर सिस्टम में गड़बड़ी आई?

अगर कभी टेक्निकल इश्यू की वजह से टोल की रकम नहीं कट पाती है, तो उसके लिए एक अलग प्रोसेस बनाया गया है। आपको सिस्टम में अपनी यात्रा का डिटेल दिखाई देगा और अगर कोई गलती हुई है, तो आप उसे चुनौती दे सकते हैं।

आखिर क्यों लाया जा रहा है यह नया सिस्टम?

सरकार का मानना है कि इस नई तकनीक से न सिर्फ ट्रैफिक की समस्या कम होगी, बल्कि टोल कलेक्शन भी और अधिक व्यवस्थित तरीके से हो पाएगा। साथ ही, इससे हाईवे पर होने वाले एक्सीडेंट्स में भी कमी आएगी, क्योंकि अब वाहनों को टोल प्लाजा पर अचानक रुकना नहीं पड़ेगा।

क्या यह सिस्टम देश के सभी हाईवे पर लागू होगा?

शुरुआत में यह सिस्टम कुछ चुनिंदा हाईवे पर ही लागू होगा। NHAI की योजना है कि अगले कुछ महीनों में इसे धीरे-धीरे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।

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