Post Office PPF Scheme: आज के समय में बचन करना जरूरी है। पोस्ट ऑफिस (Post Office Yojana) की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें निवेश (Investment Plan) करने से आपको बड़ा लाभ हो सकता है। ऐसी ही योजना का नाम है पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम (Public Provident Fund Scheme)। आप इस योजना में जीरो रिक्स के साथ निवेश कर सकते हैं, क्योंकि यह पूर्णतया सरकारी स्कीम है, जो बाजार जोखिमों से अलग है। इस योजना मे निवेश किए गए पैसे पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं और गारंटीड रिटर्स भी मिलते हैं। तो चलिए जानते हैं पोस्ट ऑफिस की पीपीएफ योजना के बारे में विस्तार से।
क्या है PPF स्कीम (What is PPF Account)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम को सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सरकारी दीर्घकालिक निवेश योजना है जिनमें जमा की गई राशि पर अच्छा खासा ब्याज एवं रिटर्न मिलता है। खास बात है कि यह सरकारी योजना है तो इसमें कोई निवेश का जोखिम भी नहीं रहता है। साथ में इनकम टैक्स (Income tax) में भी 80C के तहत छूट मिलती है।
PPF खाते की पात्रता
-कोई भी भारतीय नागरिक।
-एक नागरिक के पास केवल एक PPF खाता हो सकता है और साथ ही दूसरा कोई खाता किसी नाबालिग के नाम पर भी न हो।
-बच्चों का भी PPF अकाउंट खुलवाया जा सकता है पर उसकी देख रेख माता-पिता करेंगे।
-NRI और HUF पीपीएफ खाता खोलने के पात्र नहीं हैं।
PPF खाता कैसे खोलें?
पीपीएफ खाता किसी पोस्ट ऑफिस या किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक जैसे भारतीय स्टेट बैंक या पंजाब नेशनल बैंक आदि में खोला जा सकता है। आजकल तो कुछ निजी बैंक भी इसे प्रदान करने के लिए अधिकृत हैं।
इसके लिये आवश्यक दस्तावेज-
-आवेदन पत्र
-KYC दस्तावेज़ जैसे आधार, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस।
-आवासीय पता प्रमाण
-नामांकित घोषणा पत्र
-पासपोर्ट साइज फोटो
PPF अकाउंट की पूरी जानकारी
पीपीएफ अकाउंट 15 साल का होता है। इसमें आप हर साल न्यूनतम 500 रुपए से लेकर अधिकतम 1.50 लाख रुपए तक जमा कर सकते हैं। फिलहाल इस पर 7.1% सालाना के हिसाब से ब्याज मिलती है। 15 साल पूरे होने के बाद, आपकी पूरी जमा और ब्याज को मिलाकर, पूरे पैसे वापस मिल जाते हैं। कोई विशेष जरूरत पड़ने पर आंशिक रूप से आप पैसे निकलवा सकते हैं।
अगर आप पीपीएफ अकाउंट में सालाना 6000 रुपये जमा करते हैं यानी, महीने के 500 रुपये निवेश करेंगे तो आपको 15 साल बाद 1,62,728 लाख रुपये मिलेंगे। नोट, ब्याज दर में बदलाव होने से यह रकम कम ज्यादा हो सकती है।