What are Exit Polls: चुनावों से पहले एग्जिट पोल (Exit Polls) की भविष्यवाणी खूब सुनाई देती है। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर भी एग्जिट पोल अपना-अपना दावा (Lok Sabha Election 2024 Exit Polls) करते दिख रहे हैं। भाजपा और इंडिया गठबंधन (BJP and INDIA Exit Polls 2024) को लेकर एग्जिट पोल अभी से कुछ दावा करते दिख रहे हैं तो वहीं, बस अंतिम चरण के मतदान (1 जून के बाद) के बाद ये पोल अपना चुनावी विश्लेषण लेकर आएंगे।
ऐसे में हमें ये समझने की आवश्यकता है कि चुनाव के एग्जिट पोल क्या होते हैं, एग्जिट पोल कैसे होता है और भारत में एग्जिट पोल का इतिहास (Exit Polls History) क्या है? यहां पर एग्जिट पोल को लेकर हम कुछ जरूरी बातों को समझने वाले हैं।
चुनाव एग्जिट पोल का इतिहास पढ़िए (Exit Polls History In Hindi)
आज से करीब 67 साल पहले भारत में दूसरे आम चुनाव के दौरान साल 1957 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने भारत में पहली बार चुनावी पोल किया था। मगर, कई राजनीतिक जानकार ने कहा था कि ये पूरी तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा जा सकता। हां, लेकिन इसे एग्जिट पोल की शुरुआत मान सकते हैं।
साल 1980 में डॉक्टर प्रणय रॉय (एनडीटीवी के पूर्व मालिक व पत्रकार) ने पहली बार एग्जिट पोल किया। फिर करीब चार साल बाद उन्होंने ही 1984 के चुनाव में दोबारा चुनावी एग्जिट पोल किया था। इसी तरह दूरदर्शन की पोल पत्रकार नलिनी सिंह ने 1996 में दूरदर्शन के लिए एग्जिट पोल किया था। इसके बाद से भारत में कई एजेंसियों ने एग्जिट पोल करना शुरू किया।
भारत से पहले इन देशों में हुए एग्जिट पोल
मीडिया रिपोर्ट्स की जानकारी के मुताबिक, भारत से पहले अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया समेत दुनिया भर के कई देशों में चुनावी एग्जिट पोल होते हैं। दुनिया का सबसे पहला एग्जिट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका में 1936 में हुआ था।
जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क शहर में एक चुनावी सर्वे किया था, उनके प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया गया था कि फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट चुनाव जीतेंगे। और हुआ भी वही, डी. रूजवेल्ट चुनाव जीत गए। शायद इसलिए भी चुनावी एग्जिट पोल पर लोगों का भरोसा बढ़ा और दुनिया भर में इसका प्रचलन बढ़ गया।
एग्जिट पोल कैसे होता है (How Exit Polls Works)
सामान्य रूप से समझिए, कोई भी एजेंसी सर्वे कराने के लिए अपने प्रतिनिधि को पोलिंग बूथ से बाहर (जहां पर अनुमति हो) खड़ा कर देती है। ये लोग वोटिंग करके लौटने वाले मतदाताओं से उनकी राय लेते हैं और उसी आधार पर आंकड़ा तैयार किया जाता है। फिर उन आंकड़ों और राजनीतिक विश्लेषक और जानकार मिलकर के एग्जिट पोल तैयार करते हैं। जिसे हम लोग टीवी पर चुनाव नतीजों के आने से पहले देखते हैं।
एग्जिट पोल से जुड़े भारतीय नियम-कानून (Exit Polls Law or Rules In India)
किसी भी चीज को कानूनी तौर पर नियंत्रित किया जाता है। वैसे ही चुनाव के एग्जिट पोल को भी कानून के हिसाब से रन किया जाता है। रिप्रेजेन्टेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट, 1951 के सेक्शन 126ए के तहत इन एग्जिट पोल को नियंत्रित किया जाता है। जान लें कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से लेकर अंतिम चरण के वोटिंग समाप्त होने के आधे घंटे बाद तक एग्जिट पोल को टीवा या अन्य माध्यम से प्रसारित नहीं किया जा सकता है। साथ ही एग्जिट पोल के रिजल्ट (आकलन) को प्रसारित करने के लिए, सर्वेक्षण-एजेंसी (एग्जिट पोल एजेंसी) को चुनाव आयोग से अनुमति भी लेनी होती है।
2019 के लोकसभा चुनाव का एग्जिट पोल क्या था?
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर भी कई एग्जिट पोल्स आए थे। सर्वे में बीजेपी और एनडीए को 300 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। साथ ही कांग्रेस (यूपीए गठबंधन) को 100 के आसपास सीटें मिलने की संभावना की बात कही गई थी। अगर चुनाव आयोग के फाइनल नतीजों को देखें तो भारतीय जनता पार्टी को 303 सीटें, एनडीए गठबंधन को करीब 350 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली थीं। एक मोटे तौर पर देखा जाए तो पिछला एग्जिट पोल सही था।
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