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Basoda 2025 Kab Hai: शीतला अष्टमी 2025 कब है, क्यों मनाया जाता है बास्योड़ा? जानें तारीख, महत्व, पूजा विधि व कथा

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Sheetala Ashtami 2025, Basoda 2025 Kab hai: सीकर, राजस्थान - 22 मार्च 2025 - शीतला अष्टमी, 2025 में यह पर्व 22 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दिन माता शीतला को समर्पित है, जिन्हें स्वच्छता और आरोग्य की देवी माना जाता है। इस दिन ठंडा भोजन खाने की परंपरा है, जिसे 'बास्योड़ा' कहा जाता है।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
4 Min Read

Sheetala Ashtami 2025, Basoda 2025 Kab hai: सीकर, राजस्थान – 22 मार्च 2025 – शीतला अष्टमी, एक ऐसा पर्व जो न केवल धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के महत्व को भी दर्शाता है। 2025 में यह पर्व 22 मार्च, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दिन माता शीतला को समर्पित है, जिन्हें स्वच्छता और आरोग्य की देवी माना जाता है। इस दिन ठंडा भोजन खाने की परंपरा है, जिसे ‘बास्योड़ा’ कहा जाता है।

शीतला अष्टमी 2025 की तिथि और महत्व (Sheetala Ashtami 2025 date time)

पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि 22 मार्च को सुबह 04:23 बजे शुरू होगी और 23 मार्च को सुबह 05:23 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शनिवार को शुभ कार्य करने की परंपरा नहीं है, और होली के कितने दिनों बाद शीतलाष्टमी आ रही है, यह भी देखना जरूरी होता है। इन कारणों से तिथि में बदलाव भी संभव है।

शीतला अष्टमी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की पूजा करने से चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव होता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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शीतला अष्टमी 2025 की पूजा विधि और मुहूर्त (Basoda 2025 Date Time, Puja Vidhi in Hindi)

22 मार्च 2025 को शीतला अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:23 बजे से शाम 06:33 बजे तक रहेगा। पूजा से एक दिन पहले, सप्तमी तिथि को भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें पूरी, कचौड़ी, मीठे चावल, दही, हलवा और बेसन की रोटी जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।

व्रत के दिन, सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। माता शीतला की मूर्ति या चित्र पर गंगाजल छिड़का जाता है और उन्हें जल, रोली, हल्दी, अक्षत, फूल, बासोड़ा भोजन, बाजरा, मोठ, मूंग और गुड़ चढ़ाया जाता है। माता शीतला की कथा सुनी जाती है और आरती की जाती है। प्रसाद वितरित किया जाता है और गरीबों को भोजन कराया जाता है। इस दिन नया भोजन पकाने की मनाही होती है।

माता शीतला का स्वरूप और मंदिर (Shitla Mata ki Kahani)

माता शीतला गधे पर सवार रहती हैं और उनके हाथों में झाड़ू, घड़ा, नीम की पत्तियां और एक बर्तन होता है। यह स्वरूप रोगों से मुक्ति और स्वच्छता का प्रतीक है। भारत में शीतला माता के कई प्रमुख मंदिर हैं, जिनमें गुड़गांव (हरियाणा), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), राजस्थान और मध्य प्रदेश में स्थित मंदिर शामिल हैं।

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य महत्व

शीतला अष्टमी पर ठंडा भोजन खाने का वैज्ञानिक और स्वास्थ्य महत्व भी है। गर्मी के मौसम में बासी भोजन खाने से फूड पॉइज़निंग से बचाव होता है। नीम की पत्तियों का उपयोग संक्रामक रोगों से रक्षा करता है। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने से संक्रमण फैलने की संभावना कम होती है।

क्या करें और क्या न करें

इस दिन माता शीतला की पूजा करें, बासी भोजन ग्रहण करें, जरूरतमंदों को भोजन कराएं और घर की सफाई करें। इस दिन चूल्हा जलाना, गरम भोजन ग्रहण करना और अस्वच्छता से बचना चाहिए।

शीतला अष्टमी न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमें स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि कैसे हम अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।

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