Gangaur 2024: हिंदू धर्म में सुहागिन स्त्रियों के लिए व्रत, तीज और त्योहारों का विशेष महत्व होता है। किसी भी स्त्री के लिए गणगौर का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। होली के दूसरे दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गणगौर (Gangaur Festival 2024) का पर्व शुरू होता है, जो 16 या 17 दिनों तक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, गणगौर पर्व के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष स्तुति की जाती है। गणगौर के दिन सुहागिनें मिलकर मंगल गीत गाती है और भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनती है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात समेत हिंदी राज्यों में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणगौर पूजा भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। गणगौर में गण का अर्थ है शिव और गौर का अर्थ है पार्वती। इस दिन इस दिव्य युगल की पूजा अपने पति की लंबी उम्र के लिए सभी महिलाओं द्वारा की जाती है। इस दिन को सौभाग्य तीज के नाम से भी जाना जाता है।
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2024 में गणगौर पूजा कब है? (Gangaur 2024 Date and Time)
जैसा कि चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को यह त्यौहार मनाया जाता है। पंडित दिनेश जोशी बताते हैं कि 2024 में 10 अप्रैल 2024 को तृतीया तिथि 5 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी और 11 अप्रैल 2024 को दोपहर 3:00 बजे समाप्त होगी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष गौरी तृतीया या गणगौर उत्सव चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन मनाया जाएगा। गणगौर पूजा गुरुवार को 11 अप्रैल 2024 को है।
गणगौर पूजा का महत्व (Gangaur Festival in Hindi)
हिंदू संस्कृति में तीज (Teej festival of rajasthan) का बड़ा महत्व है। विवाहित महिलाएं गौरी पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक खुशी के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं, अविवाहित कन्याएं एक आदर्श जीवनसाथी के लिए देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि गौरी तीज को मानने और पालन करने वाले भक्तों को खुशी समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गौरी तृतीया या गणगौर के आखिरी तीन दिनों में उनके प्रस्थान की तैयारी शुरू कर दी जाती है। गौरी की अपने पति के घर जाने से संबंधित महिलाएं गणगौर गीत गाती है।
अंतिम दिन गौरी और इसर की मूर्तियों को पानी में प्रभावित कर दिया जाता है। यह गणगौर त्यौहार के समापन का प्रतीक है। गणगौर का उत्सव राजस्थान का स्थानीय पर्व है। इस दिन कुंवारी तथा विवाहित महिलाएं महिलाओं द्वारा शिव पार्वती के अवतार इसर और गोर की पूजा कर गणगौर के गीत गाए जाते हैं।
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पूजा करते हुए दूब से पानी के छिटें देते हुए गोर गोर गोमती गीत गाती है और इन गीतों में अपने परिवार के सदस्यों के नाम लेते हुए गीतों को मजेदार बनाया जाता है। विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है। गणगौर की पूजा में गाए जाने वाले लोकगीत इस अनूठे पर्व की आत्मा है। राजस्थान के कई प्रदेशों में गणगौर पूजन एक आवश्यक वैवाहिक रस्म के रूप में प्रचलित है। जब किसी की शादी होती है और उसके बाद जब गणगौर आती है, तो पहली गणगौर लड़की द्वारा अपने पीहर में मनाई जाती है। गणगौर पूजा के आसपास के रस्म और परंपराएं सचमुच हमारी सांस्कृतिक धरोहर को प्रतिबिंबित करती हैं, खासकर राजस्थान जैसे क्षेत्रों में जहां यह विशाल धूमधाम से मनाया जाता है।