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Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा 2025 में बन रहा है खास संयोग, जानें पूजा से जुड़ी हर बात

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Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा 2025 आषाढ़ पूर्णिमा पर मनाया जाएगा, जो 10 जुलाई की रात से 11 जुलाई तक चलेगा। इस दिन गुरु-शिष्य परंपरा, वेदव्यास जयंती और गोपद्म व्रत जैसे पर्व मनाए जाते हैं।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
4 Min Read

Guru Purnima 2025 Vishesh: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा, वेदों की महिमा और भगवान विष्णु की उपासना का भी प्रतीक है। इस दिन गुरु पूर्णिमा, वेदव्यास जयंती, सरस्वती पूजा और गोपद्म व्रत जैसे पर्व एक साथ मनाए जाते हैं, जो इसे और भी खास बना देते हैं।

कब है आषाढ़ पूर्णिमा? जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त

  • आषाढ़ पूर्णिमा प्रारंभ: 10 जुलाई 2025, सुबह 01:40 बजे
  • समापन: 11 जुलाई 2025, सुबह 02:08 बजे

इस अवधि में स्नान, दान, जप, ध्यान और पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।

गोपद्म व्रत: विष्णु भक्ति से खुलते हैं पुण्य के द्वार

इस दिन गोपद्म व्रत का पालन कर भक्तजन भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।

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  • प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं।
  • विष्णु सहस्त्रनाम और मंत्र जाप किया जाता है।
  • गायों की पूजा, ब्राह्मणों को भोजन और दान दिया जाता है।
  • नैवेद्य में खीर, पंचामृत और फल अर्पित किए जाते हैं।

यह व्रत पाप से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति का द्वार खोलता है।

सत्यनारायण कथा: सौभाग्य और समृद्धि की कामना

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
परिवार सहित श्रद्धा से कथा का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का वास होता है।

गुरु पूर्णिमा: गुरु के बिना अधूरा है जीवन

गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु…” जैसे मंत्रों से गुरु को नमन किया जाता है।
इस दिन शिष्य अपने गुरु का आशीर्वाद लेकर जीवन में नैतिकता, शिक्षा और आत्मज्ञान के मार्ग पर अग्रसर होते हैं। यह दिन गुरु के योगदान को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है।

वेदव्यास जयंती: हिंदू ज्ञान परंपरा के शिल्पकार

महर्षि वेदव्यास का जन्म भी इसी दिन हुआ था। उन्होंने महाभारत, 18 पुराण और वेदों का संकलन कर ज्ञान को संरचित किया। इस अवसर पर वेद पाठ और शास्त्रों का अध्ययन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

सरस्वती पूजा: जब विद्या की देवी से मांगा जाता है वरदान

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन कर विद्यार्थी बुद्धि और एकाग्रता की कामना करते हैं।

  • सफेद वस्त्र पहनकर पूजन किया जाता है।
  • भोग में खीर और मालपुआ अर्पित किए जाते हैं।
  • शांति मंत्रों के साथ देवी सरस्वती का आह्वान किया जाता है।

नक्षत्रों का विशेष संयोग: पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा

अगर पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हो, तो उस दिन किया गया दान, ध्यान, मंत्र जाप और हवन अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है।

श्रद्धा, साधना और गुरु के सम्मान का पर्व

आषाढ़ पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि जीवन में गुरु, ज्ञान और धर्म का स्थान सर्वोपरि है।
इस पावन पर्व पर हमें अपने शिक्षकों, माता-पिता, मार्गदर्शकों और आध्यात्मिक ज्ञान को नमन करना चाहिए।

गुरु का किया गया अपमान, ईश्वर की भक्ति को भी निष्फल कर सकता है।

इसलिए, आइए इस गुरु पूर्णिमा पर हम सब अपने गुरुओं को नमन करें, ज्ञान का सम्मान करें और इस दिन को आध्यात्मिक रूप से सार्थक बनाएं।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।

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