Nirjala Ekadshi -एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्त्व होता है और इसे काफी शुभ तिथि माना जाता है। हर महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक एक एकादशी आती है। अर्थात् हर महीने में दो एकादशी आती हैं। निर्जला एकादशी भी काफी महत्त्वपूर्ण एकादशियों में से एक है और इसका महत्त्व सबसे अधिक होता है। ऐसा कहा जाता है की जो लोग इस दिन व्रत करते हैं उन्हें खाने के साथ साथ पानी का भी व्रत करना चाहिए। जो लोग साल में हर 24 एकादशी को व्रत नहीं कर सकते उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए। इससे भी आप को इतना ही लाभ प्राप्त होगा। आइए जानते हैं कब हैं निर्जला एकादशी का व्रत।
Nirjala Ekadshi मुहूर्त और तिथि
निर्जला एकादशी 18 जून को मनाई जायेगी। यह तिथि 17 जून को सुबह 4 बज कर 43 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन 18 जून को 6 बज कर 24 मिनट पर खत्म होगी। पारण का समय अगले दिन 19 जून को सुबह 5 बज कर 23 मिनिट से लेकर 7 बज कर 28 मिनट तक रहेगा।
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Nirjala Ekadshi महत्त्व
ऐसा कहा जाता है की इस एक (Nirjala Ekadshi ) एकादशी के व्रत को करने से आप को साल की सारी एकादशी के व्रत करने जितना लाभ मिल सकता है लेकिन इसका व्रत बाकी एकादशी के मुकाबले थोड़ा अधिक कठिन होता है क्योंकि इसमें आप को पानी भी नहीं पीना होता है और खाना भी नहीं खाना होता है। इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है की पांडवों में भीम के सिवा सभी एकादशी का व्रत करते थे लेकिन भीम से अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं होता था। जब उन्हें ऐसा महसूस हुआ की वह अपनी इस कमी के कारण भगवान विष्णु का अपमान कर रहे हैं तो महर्षि व्यास के पास गए तब उन्होंने भीम को केवल एक एकादशी जो कि निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadshi ) है, का व्रत करने को कहा।
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