Sambhar Festival Rajasthan: सांभर झील, जो राजस्थान की एक ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर है। राजस्थान की धरा पर बिखरेगी संस्कृति, प्रकृति और रोमांच की अनोखी छटा, जब विश्वप्रसिद्ध सांभर झील 24 से 28 जनवरी तक सांभर महोत्सव के तीसरे सत्र की मेजबानी करेगी। कच्छ महोत्सव की तर्ज पर आयोजित होने वाला यह उत्सव न केवल घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि उन्हें सांभर झील के ऐतिहासिक, भौगोलिक और आध्यात्मिक पहलुओं से भी परिचित करवाएगा।
तीसरा सत्र: परंपरा और उत्साह का संगम
यह महोत्सव अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। 2023 और 2024 में प्रायोगिक तौर पर शुरू किए गए इस आयोजन को जबरदस्त सफलता मिली, जिसके चलते इसे अब पांच दिवसीय उत्सव के रूप में विस्तार दिया गया है। पर्यटन विभाग के उपनिदेशक उपेंद्र सिंह के अनुसार, इस बार आयोजन को और भी खास बनाने के लिए थीम आधारित कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
एक अनूठा अनुभव
सांभर झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहां बड़ी संख्या में विदेशी और स्थानीय पक्षी, जैसे फ्लेमिंगो, देखे जा सकते हैं। यह झील खारे पानी की है और पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
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पर्यटन और संस्कृति का संगम
इस फेस्टिवल में सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए विभिन्न आकर्षण होंगे। पारंपरिक राजस्थानी भोजन, हस्तशिल्प, और लाइव परफॉर्मेंस यहां की मुख्य विशेषताएं हैं। साथ ही, पर्यटक स्थानीय लोक नृत्य और संगीत का भी आनंद ले सकते हैं।
ऐतिहासिक महत्व
सांभर झील भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह झील न केवल पर्यटन को बढ़ावा देती है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भी एक बड़ा स्रोत है।
पर्यावरणीय जागरूकता
सांभर फेस्टिवल के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और पक्षियों की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास किया जाएगा।
आगामी योजनाएं
फेस्टिवल को कच्छ के रण उत्सव जैसा विस्तार देने की योजना है, जिसमें इसे पूरे एक महीने तक बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। इस बार की सफलता अगले आयोजनों के लिए एक दिशा तय करेगी।
सांभर महोत्सव का यह सत्र न केवल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करेगा, बल्कि सैलानियों को अद्भुत अनुभवों की यात्रा पर ले जाएगा। तो तैयार हो जाइए, प्रकृति और परंपरा के इस अद्भुत संगम का हिस्सा बनने के लिए।