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UCC Details in hindi: ‘मम्मी-पापा को पता रहेगा कि आप Live-in में हैं”, उत्तराखंड में लागू हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड में क्या-क्या प्रावधान?

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उत्तराखंड में लागू हुआ यूनिफॉर्म सिविल कोड: जानें क्या बदलेंगे नियम

FM Sikar
Written by: FM Sikar
4 Min Read

UCC Details in hindi: उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां आज से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू हो रहा है। इस महत्वपूर्ण कानूनी बदलाव के बाद, राज्य में कई सामाजिक और कानूनी पहलुओं में परिवर्तन होगा। अब शादी, संपत्ति, तलाक, बहुविवाह और लिन-इन रिलेशनशिप जैसी चीजें एक समान कानून के तहत आ जाएंगी, जो हर धर्म, जाति और समुदाय पर समान रूप से लागू होंगी। आइए जानते हैं कि उत्तराखंड में लागू हो रहे यूनिफॉर्म सिविल कोड से समाज और कानून में क्या बदलाव आएंगे। (Key Points of Uniform Civil Code in hindi)

1. विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने के बाद उत्तराखंड में विवाह रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया जाएगा। 27 मार्च 2010 से हुए सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा, और इसे छह महीने के भीतर पूरा करना पड़ेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी शुरू की है, जिससे लोगों को सरकारी कार्यालयों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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2. लिन-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन

लिन-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए अब माता-पिता की अनुमति आवश्यक होगी। इस संबंध को रजिस्ट्रार के सामने घोषित करना होगा, और यदि यह संबंध खत्म होता है, तो उसकी सूचना भी रजिस्ट्रार को देनी पड़ेगी। इसके अलावा, लिन-इन से जन्मे बच्चे को वैध माना जाएगा और महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति बिना सूचना के एक महीने से ज्यादा लिन-इन में रहता है, तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

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3. संपत्ति अधिकारों में समानता

इस कानून के तहत अब सभी बच्चों को उनके जन्म की स्थिति (चाहे वे प्राकृतिक संबंधों, सहायक विधियों, या लिन-इन से जन्मे हों) के आधार पर संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे। इसके अलावा, सभी धर्मों और समुदायों में महिलाओं को भी संपत्ति में समान अधिकार दिया जाएगा। माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त होंगे, ताकि किसी की मृत्यु के बाद परिवार में संपत्ति को लेकर कोई विवाद न हो।

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4. बहुविवाह और हलाला पर रोक

यूसीसी के लागू होने के बाद, उत्तराखंड में इस्लाम में प्रचलित हलाला और बहुविवाह की प्रथाओं पर रोक लगा दी गई है। इस कदम से समाज में समानता को बढ़ावा मिलेगा और इन प्रथाओं को अवैध करार दिया जाएगा।

5. विवाह की न्यूनतम आयु

अब सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित की गई है। लड़कों के लिए यह आयु 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष होगी। इसका मतलब यह है कि अब मुस्लिम लड़कियों का निकाह 18 वर्ष से पहले नहीं हो सकेगा।

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6. वसीयत का अधिकार

यूसीसी लागू होने से अब सभी समुदायों के लोग अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकेंगे। इससे पहले, मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदायों के लिए वसीयत के अलग-अलग नियम थे, लेकिन अब सभी के लिए समान नियम होंगे।

7. विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन

यूसीसी के तहत, विवाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा। यह पंजीकरण वेब पोर्टल के माध्यम से किया जा सकेगा, जैसे जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की प्रक्रिया होती है।

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8. गोद लेने के नियम

यूसीसी के अंतर्गत, सभी धर्मों के लोग बच्चों को गोद लेने का अधिकार रखेंगे, लेकिन दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं लिया जा सकेगा।

9. अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखा गया

संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा गया है, ताकि उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों की रक्षा की जा सके। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

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