Ad image
Sat Jul 12, 12:36 pm Sikar
28°C - घनघोर बादल
🌧 बारिश: 0 mm | 💧 नमी: 70% | 🌬 हवा: 1.26 km/h
Powered By: 89.6 FM Sikar
- Advertisement -

Maha Kumbh 2025 Mela: महाकुंभ में उमड़ा आस्था का सैलाब, एक दिन में 80 लाख श्रद्धालु पहुंचे, अनाज वाले बाबा को देखा क्या?

- Advertisement -
Sat Jul 12, 12:36 pm Sikar
28°C - घनघोर बादल
🌧 बारिश: 0 mm | 💧 नमी: 70% | 🌬 हवा: 1.26 km/h
Powered By: 89.6 FM Sikar

Maha Kumbh 2025 Mela: आखिरकार विश्व के सबसे भव्य और दिव्य धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। अनाज वाले बाबा एक संत हैं, जो अनाज की बोरियों के साथ चलते हैं और भोजन के महत्व का संदेश देते हैं।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
7 Min Read

Maha Kumbh 2025 Mela: लंबे इंतजार के बाद आखिरकार विश्व के सबसे भव्य और दिव्य धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया है। प्रयागराज की पवित्र भूमि पर आज पौष पूर्णिमा के अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत नजारा देखने को मिला। लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों के निवारण और मोक्ष की कामना कर रहे हैं।

आज सुबह से अब तक लगभग 80 लाख श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं, और यह संख्या दिन के आगे बढ़ने के साथ और बढ़ने की उम्मीद है।

- Advertisement -

महाकुंभ के इस पहले दिन हर कोई आस्था और भक्तिभाव के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है। संगम तट पर उमड़ा जनसैलाब न केवल धार्मिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का भी सजीव चित्रण करता है।

यह भी जरूर पढ़ें...

महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन तीर्थराज प्रयागराज में होगा, जो 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।

- Advertisement -

कुंभ और महाकुंभ में अंतर

कुंभ मेला: हर 12 वर्ष में होता है, चार स्थानों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक) पर।
अर्धकुंभ मेला: हर 6 वर्षों में इन्हीं स्थानों पर आयोजित होता है।
महाकुंभ मेला: 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जब सूर्य, बृहस्पति, और चंद्रमा कुंभ राशि में एक साथ होते हैं।महाकुंभ: आस्था और पर्यावरण का उत्सव

महाकुंभ न केवल आध्यात्मिकता का महोत्सव है, बल्कि यह समाज और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। कुम्भ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और सांस्कृतिक एकता का वह विराट स्वरूप है, जो सदियों से हिंदू धर्मावलंबियों को एक साथ जोड़ता आया है। यह पर्व किसी इतिहास के लिखे जाने का परिणाम नहीं है, बल्कि इसकी उत्पत्ति स्वयं समय के साथ एक इतिहास बन गई। यह कहना उचित होगा कि कुम्भ केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि मानवीय चेतना का महोत्सव है, जो बिना किसी निमंत्रण के लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

- Advertisement -

कुम्भ का अर्थ और इसका पौराणिक संदर्भ

‘कुम्भ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है कलश। यह कलश सीधे तौर पर अमृत कलश का प्रतीक है, जिसका उल्लेख समुद्र मंथन की कथा में मिलता है। देवताओं और दानवों के बीच हुए इस मंथन से चौदह दिव्य रत्नों की प्राप्ति हुई। जब धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए, तो देवताओं और दानवों में उसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष हुआ। विष्णु भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर इस संघर्ष को शांत किया और अमृत-कलश की जिम्मेदारी इंद्र-पुत्र जयंत को सौंपी।

जब जयंत अमृत कलश लेकर भाग रहे थे, तो अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक – पर गिरीं। इन स्थानों पर आज भी कुम्भ पर्व मनाया जाता है। अमृत की रक्षा में सूर्य, चंद्र, शनि और बृहस्पति की भी भूमिका थी, और यही कारण है कि यह पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष माना जाता है।

- Advertisement -

12 वर्षों का चक्र और ज्योतिषीय महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जयंत को अमृत-कलश को स्वर्ग ले जाने में 12 दिन लगे थे। चूंकि देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर माना जाता है, इसलिए हर 12 वर्षों में इन चार स्थानों पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है। ग्रहों और राशियों के विशेष संयोगों के आधार पर इस पर्व का समय निर्धारित होता है।

प्रमुख स्नान तिथियां (2025):-

  • 13 जनवरी: पौष पूर्णिमा
  • 14 जनवरी: मकर संक्रांति
  • 29 जनवरी: मौनी अमावस्या (प्रारंभ)
  • 03 फरवरी: वसंत पंचमी
  • 12 फरवरी: माघ पूर्णिमा
  • 26 फरवरी: महाशिवरात्रि

महाकुंभ 2025 की विशेषताएं:-

समुद्र मंथन के 14 रत्नों का स्वागत
महाकुंभ में प्रवेश करते ही श्रद्धालु समुद्र मंथन के 14 पौराणिक रत्नों की प्रतिमाओं का दर्शन करेंगे। इनमें ऐरावत, कामधेनु, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, रंभा, महालक्ष्मी, शारंग धनुष, और अमृत शामिल हैं।

- Advertisement -

विशाल शिव डमरू और तोरण द्वार
शिव के विशाल डमरू और 30 पौराणिक तोरण द्वारों से सजे मेले का हर कोना श्रद्धालुओं को दिव्यता का अनुभव कराएगा।

सबसे बड़ा यज्ञकुंड: आस्था और पर्यावरण का अद्भुत संगम
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज यज्ञकुंड
महाकुंभ 2025 का सबसे बड़ा यज्ञकुंड, जिसे हजारों कारीगरों ने महीनों की मेहनत से बनाया, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया।

यज्ञकुंड का उद्देश्य
धार्मिक अनुष्ठान और पर्यावरण शुद्धिकरण।
हवन सामग्री में प्राकृतिक तत्वों का उपयोग, जैसे गोबर के उपले और औषधीय जड़ी-बूटियां।

वैज्ञानिक महत्व
हवन से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को शुद्ध करता है और हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। यह प्राकृतिक वायु शोधन का एक बेहतरीन उदाहरण है।

अनाज वाले बाबा: पर्यावरण संरक्षण का अनूठा संदेश

कौन हैं अनाज वाले बाबा?

अनाज वाले बाबा एक संत हैं, जो अनाज की बोरियों के साथ चलते हैं और भोजन के महत्व का संदेश देते हैं।

बाबा का संदेश
“भोजन का अपव्यय रोकें, प्रकृति का सम्मान करें। यदि हम अनाज की कद्र करेंगे, तो प्रकृति भी हमारी रक्षा करेगी।”

पर्यावरण संरक्षण और महाकुंभ

प्लास्टिक मुक्त मेला

महाकुंभ 2025 में प्लास्टिक पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। कपड़े के बैग और बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग प्रोत्साहित किया गया।

गंगा सफाई अभियान

गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं।

आस्था और संस्कृति का संगम

कुम्भ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों का जीवंत उदाहरण है। यहाँ लोग भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाओं को भूलकर एक साथ आते हैं। कुम्भ का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और ज्ञान का मंथन भी है।
कुम्भ वह अनंत स्रोत है, जो न केवल हिंदू धर्मावलंबियों के विश्वास को सशक्त करता है, बल्कि पूरी दुनिया को भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर की महिमा का अनुभव कराता है।

हमें फॉलो करें
TAGGED:
Share This Article
Bharti Sharma
Sub Editor
Follow:
भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
- Advertisement -

Latest News

Facebook

- Advertisement -
- Advertisement -