History of Sikar Interesting facts: सीकर 1744 में राव दौलत सिंह का बसाया हुआ शहर, आज बना राजनेताओं-उद्योपतियों का गढ़
“अंगरेजी म्हाने आवे कोणी,
न हिंदी रो घणो ज्ञान,
राजस्थान रा बाशिंदा हा,
राजस्थानी है म्हारी पिछाण |”
“राम-राम सा”
Sikar History: सीकर, चूरू और झूंझुनू राजस्थान के शेखावाटी (Shekhawati History) क्षेत्र के अहम हिस्से हैं। सीकर 327 सालों में विकास की रफ्तार का पहिया बिना रुके लगातार चल रहा है। शहर ने विकास की दौड़ के बीच अपना रंग और स्वरूप जरूर बदला, लेकिन संस्कृति व परंपरा का साथ कभी नहीं छोड़ा।
सीकर का रोचक इतिहास: (Interesting about History of Sikar)
सीकर, राव दौलत सिंह ने वीर भान का बास गांव का नाम बदलकर सीकर किया था। सीकर राजस्थान के उत्तर पूर्व में बसा हुआ एक छोटा सा जिला है, जो शेखावटी क्षेत्र में पड़ता है। विक्रम संवत 1744 में राव दौलतसिंह ने सीकर शहर की स्थापना की थी, उस दौरान सुभाष चौक में छोटा गढ़ बनाया गया था। इतिहास के जानकार महावीर पुरोहित बताते हैं, वीरभान का बास गांव पर सीकर शहर को बसाया गया था।
1954 तक शहर पर 11 राजाओं ने राज किया। अंतिम राजा राव राजा कल्याणसिंह थे। इन्होंने 34 साल राज किया। 15 जून 1954 को राव राजा कल्याणसिंह ने शासन की बागडोर राज्य सरकार को सौंप दी। सीकर को वीरभान का बास के बाद श्रीकर के नाम से जाना जाता रहा। इसे शिखर भी कहा जाता था, क्योंकि गढ़ पर बसाया गया था। जैन मंदिर में रखे शिलालेख में सीकर का नाम शिवकर बताया गया है। क्योंकि दौलतसिंह के बाद राजा बने शिवसिंह ने चारदीवारी व नहर बनवाई थी।
सीकर के घंटाघर का इतिहास (Sikar Clock Tower History, Sikar Ghantaghar ka Itihas)
सीकर के स्थापना दिवस पर विशेष शहर के बीचों बीच स्थित घंटाघर 1967 में युवराज हरदयाल की स्मृति में राव रानी स्वरूप कंवर((जोधीजी)) ने बनाया था। 85 फीट के घंटाघर की नींव ही 30 फीट भरी हुई है। घड़ी में जितने बजते थे उतने ही घंटे लगते थे, जो कि पूरे शहर में सुनाई देते थे लेकिन आज दस साल के करीब हो गए। घंटाघर की घड़ी खराब पड़ी है। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र का एक ऐतिहासिक शहर है।
“म्हारा सीकर की बात निराळी,
जोश म भरया अठे नर नारी|
नया रूप न म्हे अपनावा पर,
“राम राम सा” कहणै रीत पुराणी|
घना प्रीत स थारी मनुवार करा म्हे,
‘इ माटी री तो न्यारी ही कहाणी,
एक्कानी तो राजा जी ऱो जस गाण सुणा,
दूजी सुणा बाबा श्याम सु प्रीत सुहाणी “|
सीकर के सात पोल के नाम (Sikar Ke 7 Gate)
सीकर सात पोल (दरवाजे) वाली किलेबंद दीवारों से घिरा हुआ है। इनमें बावरी गेट, फतेहपुरी गेट, नानी गेट, सूरजपोल गेट, पुराना दूजोद गेट, नया दूजोद गेट और चांदपोल गेट शामिल हैं।
सीकर में कितने किले हैं? (Forts in Sikar Shekhawati Rajasthan)
सीकर में कई किले हैं, गणेश्वर धाम, रघुनाथगढ़ किला, लक्ष्मणगढ़ किला (Laxmangarh Fort), जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। इसके अलावा यहां विश्व प्रसिद्ध मंदिर भी है। मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
सीकर के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples in Sikar)
हर्षनाथ (Sikar Harsh Temple), खाटूश्यामजी मंदिर (Khatushyam ji Mandir), जीणमाता मंदिर (Jeenmata Mandir), देवगढ़ दुर्ग, बुधगिरीजी की मढ़ी।
राजस्थान में सीकर-झुंझुनू के आसपास पाए जाने वाले खेतड़ी कपास बेल्ट में स्थ्ति तांबे की खदानों के पास गणेश्वर सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं।
आजादी की जंग में थी अहम भूमिका
सीकर जिले ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजी राज के विरुद्ध जन चेतना जगाने वाले डूंगजी-जवाहर जी सीकर के बठोठ-पाटोदा के रहने वाले थे। लोठिया जाट और करणा भील डूंगजी जवाहरजी के साथी थे कहा जाता है कि इसी क्षेत्र में तात्या टोपे ने 1857 की क्रांति के समय शरण प्राप्त की थी। जिले के पचार गांव के रहने वाले गोविंद नारायण पुरोहित ‘हिंदुस्तानी’ ने भी आजादी के वक्त काफी संघर्ष किया, जिसके बाद उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सम्मानित किया था।
सीकर के राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति, शेखावाटी के फेमस बिजनेसमैन (Businessman from Sikar, Shekhawati)
क्षेत्र के प्रशासनिक मुख्यालय जयपुर के बाद राज्य में दूसरा सबसे विकसित शहर सीकर ही है। राजपूत जाति में यहां शेखावतों का बाहुल्य है। इस क्षेत्र ने देश को राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, सैन्य अधिकारियों समेत बिजनेस जगत की हस्तियां भी दी हैं। भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत यहां के थे और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल यहां की बहू हैं। वहीं बजाज परिवार, बिरला परिवार और गोयनका भी इसी जिले के हैं।