Swachhata Abhiyan: कचरे का विभाजन पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया न केवल अपशिष्ट को कम करती है, बल्कि पुनर्चक्रण और पुनःउपयोग की सुविधा भी प्रदान करती है। सही तरीके से कचरे का विभाजन करने से न केवल हमारा पर्यावरण स्वच्छ रहता है, बल्कि इससे संसाधनों का भी सही उपयोग हो सकता है। यहां कचरे के विभाजन के कुछ प्रमुख तरीके दिए गए हैं:
1. कचरे को तीन मुख्य वर्गों में विभाजित करें:
गीला कचरा (जैविक कचरा): इसमें सब्जियों के छिलके, खाने का बचा हुआ हिस्सा, पत्तियां और बगीचे से निकला कचरा शामिल होता है। इसे जैविक कचरा भी कहा जाता है, जो खाद बनाने में सहायक होता है।
सूखा कचरा: इसमें प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु, और अन्य नॉन-बायोडिग्रेडेबल वस्तुएं आती हैं। सूखे कचरे को पुनर्चक्रण के लिए अलग से रखा जाना चाहिए।
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खतरनाक कचरा: इसमें बैटरी, ई-वेस्ट, केमिकल्स, और अन्य जहरीली सामग्री शामिल होती हैं। इनका अलग से निपटान किया जाना चाहिए ताकि यह पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए।
2. रंग-कोडेड डस्टबिन्स का उपयोग करें:
हरा डस्टबिन: गीले कचरे के लिए उपयोग होता है।
नीला डस्टबिन: सूखे कचरे को इकट्ठा करने के लिए।
लाल डस्टबिन: खतरनाक कचरे के लिए।
अलग-अलग रंग के डस्टबिन्स का उपयोग करके कचरे का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सकता है।
3. पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग):
सूखे कचरे जैसे प्लास्टिक, कागज, और धातु को पुनःचक्रण के लिए अलग रखें। इन्हें रिसाइक्लिंग केंद्र में भेजकर नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जो संसाधनों की बचत करता है और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाता है।
4. खाद बनाना:
गीले कचरे से खाद बनाना एक प्रभावी तरीका है। घरेलू स्तर पर कंपोस्टिंग करके जैविक कचरे को प्राकृतिक उर्वरक में बदला जा सकता है, जो पौधों और बगीचों के लिए उपयोगी होता है।