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Jaisalmer Video: जैसलमेर में धरती फाड़कर निकली ‘सरस्वती नदी!’, पानी की उठी तेज लहरों में डूबे खेत-ट्रक, वैज्ञानिक भी हैरान

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Jaisalmer Saraswati River Water Viral Video: जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र में ट्यूबवेल खुदाई के दौरान जमीन से अचानक पानी का फव्वारा फूट पड़ा। विशेषज्ञों ने इसे लुप्तप्राय सरस्वती नदी के चैनल से जोड़ा।

FM Sikar
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Jaisalmer Saraswati River Water Viral Video: जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ क्षेत्र में एक आश्चर्यजनक घटना ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया। जिसे कभी सरस्वती नदी का प्रवाह माना जाता था, उस नहरी क्षेत्र में ट्यूबवेल की खुदाई के दौरान अचानक जमीन से पानी का फव्वारा फूट पड़ा। यह घटना चक 27 बीडी के पास विक्रम सिंह के खेत में हुई। खुदाई के दौरान न केवल जमीन में मशीन धंस गई, बल्कि खेत एक बड़े तालाब में तब्दील हो गया। इस घटना अब वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

हो रही थी ट्यूबवेल की खुदाई

यह घटना तब हुई जब खेत में ट्यूबवेल की खुदाई 800 फीट गहराई तक पहुंच गई। जैसे ही खुदाई के बाद पाइप को निकाला जा रहा था, पानी तेजी से ऊपर उठने लगा। पानी का बहाव इतना तेज़ था कि कुछ ही समय में आसपास के खेत पानी में डूब गए। हजारों लीटर पानी खेत में भर गया, जिससे यह इलाका पानी से लबालब हो गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने इसे और भी चर्चा का विषय बना दिया है।

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लुप्तप्राय सरस्वती नदी का पानी?

इस घटना के बाद भूजल वैज्ञानिक डॉ. नारायण दास ईणखिया ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने इसे सामान्य भूजल रिसाव मानने से इनकार किया और इसे लुप्तप्राय सरस्वती नदी के प्राचीन चैनल से जोड़कर देखा। डॉ. ईणखिया ने बताया कि यह घटना भूजल प्रवाह का असामान्य उदाहरण हो सकती है। उन्होंने संभावना जताई कि यह क्षेत्र कभी सरस्वती नदी का हिस्सा रहा हो।

प्रशासन की भूमिका और ग्रामीणों की चिंता

जानकारी के अनुसार, ट्यूबवेल की खुदाई बिना प्रशासनिक स्वीकृति के की जा रही थी। खुदाई के दौरान मशीन तक जमीन में धंसने से यह घटना और भी जटिल हो गई। प्रशासन ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। इस घटना से आसपास के ग्रामीण भी चिंतित हैं। पानी के तेज बहाव के कारण कई घरों में पानी भर गया, जिससे नुकसान की संभावना बढ़ गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस समस्या का समाधान जल्द निकालने की अपील की है।

मामले की होगी जांच

विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना से यह संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र कभी सरस्वती नदी के प्रवाह क्षेत्र का हिस्सा रहा होगा। यह घटना वैज्ञानिक अध्ययन और ऐतिहासिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।

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