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हो जाएं तैयार! अप्रैल से जून तक भीषण गर्मी में तपेगा राजस्थान, IMD ने जारी किया रेड अलर्ट- IMD Heat Wave Alert in Rajasthan 2025

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IMD Heat Wave Alert in Rajasthan 2025: राजस्थान में इस साल पड़ सकती है रिकॉर्डतोड़ गर्मी! अप्रैल-जून के बीच लू के लंबे दौर की आशंका, जानें वजह और अलर्ट प्लान।

Rajasthan Desk
Written by: Rajasthan Desk - News
Updated: March 31, 2025 08:40 AM (IST)

IMD Heat Wave Alert in Rajasthan 2025: मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस साल भारत में गर्मी के सभी पुराने रिकॉर्ड टूट सकते हैं। उत्तर-पश्चिमी राज्यों में लू के दिनों की संख्या सामान्य से दोगुनी हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक हो सकती है।

अप्रैल से जून तक रहेगी प्रचंड गर्मी

सामान्यतः अप्रैल से जून के बीच लू का प्रकोप रहता है, लेकिन इस बार यह अवधि लंबी होगी। आमतौर पर लू का एक चक्र 5-6 दिनों तक रहता है, लेकिन इस साल 10-12 दिनों के कई लंबे दौर देखने को मिल सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर गर्मी की तीव्रता और अवधि इसी तरह बढ़ती रही, तो 2025 अब तक का सबसे गर्म साल साबित हो सकता है।

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पिछले साल भी बना था रिकॉर्ड

2024 में भी भारत ने भीषण गर्मी झेली थी। देश भर में कुल 554 बार हीटवेव की घटनाएं दर्ज की गईं। यह आंकड़ा हैरान करने वाला लग सकता है, क्योंकि एक साल में केवल 365 दिन होते हैं। दरअसल, IMD अलग-अलग राज्यों में एक साथ चल रही लू की घटनाओं को जोड़कर यह गणना करता है। उदाहरण के लिए, अगर एक महीने में दिल्ली में 10, राजस्थान में 15, यूपी में 12 और बिहार में 8 दिन लू चलती है, तो कुल मिलाकर 45 हीटवेव डे माने जाते हैं।

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कब माना जाता है हीटवेव?

लू की परिभाषा अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से बदलती रहती है। मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40°C से ऊपर जाने पर, पहाड़ी क्षेत्रों में 30°C और तटीय भागों में 37°C से अधिक होने पर हीटवेव घोषित की जाती है। अगर तापमान सामान्य से 6.5°C या उससे ज्यादा बढ़ जाए, तो इसे गंभीर हीटवेव माना जाता है।

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गर्मी बढ़ने के प्रमुख कारण

IMD के अनुसार, इस साल गर्मी बढ़ने के पीछे दो मुख्य वजहें हैं – अल-नीनो और जलवायु परिवर्तन। अल-नीनो का प्रभाव मार्च से जून तक रहने की संभावना है, जिससे बारिश कम होगी और तापमान तेजी से बढ़ेगा। वहीं, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हीटवेव की अवधि और तीव्रता दोनों में इजाफा हुआ है।

मार्च में ही पारा 40°C के पार

इस साल मार्च में ही देश के आठ राज्यों में तापमान 40°C को पार कर चुका है। कई इलाकों में लू जैसे हालात बन गए हैं। उत्तर भारत में आने वाले दिनों में गर्मी और बढ़ सकती है। हालांकि, अगर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल या उत्तराखंड में बारिश या बर्फबारी होती है, तो कुछ राहत मिल सकती है।

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गर्मी के तीन चरण

भारत में गर्मी के मौसम को तीन भागों में बांटा जा सकता है:

  1. प्री-समर (मार्च-अप्रैल): गर्मी की शुरुआत और लू के पहले दौर का समय।
  2. पीक समर (मई-मध्य जून): साल का सबसे तपता हुआ दौर, जब सूर्य कर्क रेखा के ऊपर होता है।
  3. पोस्ट-समर (जून अंत-जुलाई): मानसून की शुरुआत से गर्मी में कमी, लेकिन कभी-कभी जुलाई में भी भीषण गर्मी पड़ सकती है।

सरकार ने की तैयारियां

बढ़ती गर्मी को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अस्पतालों को निर्देश दिए हैं कि वे हीटवेव से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहें। इसमें शामिल है:

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  • ORS, दवाइयों और ठंडे पानी का पर्याप्त स्टॉक।
  • हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए त्वरित इलाज की व्यवस्था।
  • डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष प्रशिक्षण देना।
  • हीटवेव से जुड़े आंकड़ों को नियमित रूप से अपडेट करना।
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