FM Sikar Interview: आज हम एक खास शख्सियत से बात करेंगे, जिन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये हैं इंदु मैम, जो एक जानी-मानी टीचर हैं और बच्चों को पढ़ाने में उन्हें बेहद खुशी मिलती है। आरजे रुपाली कुमावत ने शिक्षिका इंदु से खास बातचीत की, इस दौरान उन्होंने जाना टीचिंग के सफर के बारे में, उनकी प्रेरणा के बारे में और बच्चों को परीक्षा के दौरान कैसे तनाव से मुक्त रखा जाए, इस बारे में भी। कई बार बच्चों पर पढ़ाई का बहुत ज़्यादा दबाव होता है, और ऐसे में टीचर्स और पेरेंट्स की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। इंदु मैम हमें बताएंगी कि बच्चों को कैसे सही मार्गदर्शन दिया जाए, ताकि वो अच्छे नंबर भी ला सकें और खुश भी रह सकें। तो चलिए, शुरू करते हैं ये दिलचस्प बातचीत और जानते हैं इंदु मैम के अनुभवों से कुछ नया सीखते हैं।
प्रश्न: आपको टीचिंग क्षेत्र में आने का विचार कैसे आया?
उत्तर: जब मैं छोटी थी, तो मेरे कई पसंदीदा टीचर थे। उनके पढ़ाने के तरीके को देखकर मुझे लगता था कि मैं भी एक टीचर बनूंगी। मैंने कंप्यूटर साइंस में एमटेक किया और कुछ समय आईटी क्षेत्र में काम भी किया। लेकिन मुझे यहां खुशी नहीं मिल रही थी। मुझे बच्चों से जुड़ना बहुत अच्छा लगता था, इसलिए 2018 में मैंने अपना पेशा बदलकर टीचिंग को चुना। 2019 में सीकर में मैट्रिक्स जॉइन किया, फिर आकाश इंस्टीट्यूट में आ गई। बच्चों के साथ काम करके मुझे बहुत खुशी मिलती है।
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प्रश्न: आप जिस उद्देश्य से इस क्षेत्र में आईं थीं, क्या वह उद्देश्य पूरा हुआ?
उत्तर: बिल्कुल, जब बच्चे अच्छे परिणाम लेकर बाहर निकलते हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे धन्यवाद कहते हैं, तो मुझे बहुत खुशी होती है कि मेरी छोटी सी कोशिश से उनका जीवन बदला।
प्रश्न: जहां आप पढ़ाती हैं, वहां 40% लाने वाला बच्चा और 90% लाने वाला बच्चा दोनों होते हैं। आप इन बच्चों के बीच तालमेल कैसे बनाती हैं?
उत्तर: बोर्ड एग्जाम के लिए हम बच्चों को उनके लक्ष्य के आधार पर अलग-अलग टारगेट देते हैं। 60% लाने वाले बच्चों के लिए अलग से बैच और टॉपर बच्चों के लिए 100% लाने की तैयारी करते हैं। आकाश में एक मेंटरशिप प्रोग्राम भी है, जिसमें एक मेंटर बच्चे का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखता है और उन्हें मोटिवेट करता है। इसके अलावा, बच्चों की संख्या कम रखने से हम हर बच्चे पर ध्यान दे पाते हैं।
प्रश्न: क्या कभी ऐसा महसूस हुआ कि कोई बच्चा मानसिक तनाव में आ गया हो?
उत्तर हां, हाल ही में एक 10वीं क्लास का बच्चा मेरे पास आया और बोला कि उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा। उसके माता-पिता का टारगेट था कि वह 90% अंक लाए। मैंने उसे यह समझाया कि बच्चों पर अत्यधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्हें खुशी से पढ़ाई करने का अवसर देना चाहिए, ताकि वे तनाव से बच सकें।
प्रश्न: बच्चों को एग्जाम के डर से कैसे निपटना चाहिए?
उत्तर: बच्चों को मैं यही कहूंगी कि वे अपनी सोने की आदतें सुधारें, टाइम-टेबल फिक्स करें और हेल्दी खाएं। साथ ही, पुराने पेपर हल करें और ज्यादा से ज्यादा रिवीजन करें। एक नई चीज सीखने से बचें, क्योंकि इस समय सिर्फ रिवीजन करना ज्यादा फायदेमंद होगा। माता-पिता को भी बच्चों को इस दौरान शाबाशी देनी चाहिए और उन्हें अतिरिक्त दबाव नहीं डालना चाहिए।
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प्रश्न: क्या आप मानती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा होता है?
उत्तर: बिल्कुल, हमने देखा है कि जिन बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होता, वे अच्छे परिणाम नहीं दे पाते, भले ही पूरे साल उन्होंने अच्छे अंक हासिल किए हों। माता-पिता को बच्चों की खुशियों और मानसिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ज्यादा दबाव डालने से वे डिप्रेशन में जा सकते हैं।
प्रश्न: बच्चों को इस समय क्या सुझाव देना चाहेंगी?
उत्तर: मैं बच्चों को यही कहूंगी कि अब कोई नई चीज नहीं अपनाएं। अधिक से अधिक रिवीजन करें, अच्छा खाएं, और अपने माता-पिता और टीचर्स से संपर्क बनाए रखें। अगर कोई समस्या हो तो उसे अपने माता-पिता से साझा करें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक प्रतिशत अंक आपका भविष्य निर्धारित नहीं करते हैं। मेहनत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें, और अच्छा करें।
प्रश्न: क्या आप माता-पिता को भी कोई संदेश देना चाहेंगी?
उत्तर: माता-पिता से मेरी रिक्वेस्ट है कि वे बच्चों पर ज्यादा दबाव न डालें। उन्हें प्यार और शाबाशी दें। हर बच्चे की क्षमता अलग होती है, और जरूरी नहीं कि हर बच्चा IIT या नीट में ही जाए। बच्चों को मानसिक शांति और संतुलित वातावरण में पढ़ाई करने का अवसर दें। अपने बच्चों को प्यार दें, उन्हें सकारात्मक माहौल में पढ़ने का मौका दें, और उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं।