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Navratri 2024 Special: आज पढ़िए जीण माता के चमत्कारों और सीकर के इस मंदिर का रोचक इतिहास

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Navratri 2024, Jeenmata Mandir Sikar: नवरात्रि 2024 में जीण माता मंदिर सीकर में दर्शन करें। देवी जीण माता के चमत्कारों और मंदिर की पौराणिक कथाओं के बारे में जानें।

Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
5 Min Read

​Navratri 2024, Jeenmata Mandir Sikar: सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि में आदिशक्ति के नव रूपों की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। देश के विभिन्न राज्यों में स्थित प्रसिद्ध मां भगवती के दरबारों में नवरात्रि के समय भक्तों का तांता लगा रहता है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 90 किलोमीटर दूर​ स्थित सीकर जिले के रैवासा गांव में स्थित जीणमाता मंदिर शक्ति की देवी जीण माता को समर्पित एक प्राचीन और धार्मिक महत्त्व का स्थल है। यह मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है, और इसके काजल शिखर के आस-पास की मान्यताएं और कहानियां इसे और भी पवित्र और रहस्यमयी बनाती हैं।

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जीण माता मंदिर का इतिहास

रैवासा गांव, सीकर से लगभग 29 किमी की दूरी पर स्थित है। इतिहासकारों और मंदिर के सर्वमण्डप और खंभों की संरचना से पता चलता है कि यह एक हजार साल पुराना हो सकता है। नवरात्रि के समय यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, और लाखों लोग देवी जीण माता के दर्शन के लिए आते हैं।

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औरंगज़ेब की चुनौती और चमत्कार

एक समय, मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने इस मंदिर को तोड़ने की कोशिश की। वह अपनी सेना के साथ मंदिर की ओर बढ़ा, लेकिन गांववासियों की प्रार्थना और माता की शक्ति के चलते एक चमत्कार हुआ। मधुमक्खियों का झुंड सेना पर टूट पड़ा, और सेना को वहां से भागना पड़ा। औरंगज़ेब ने अपनी गलती की माफी मांगी और यह वचन दिया कि वह माता के अखंड दीपक के लिए तेल दिल्ली से भेजेगा, जिससे दीपक सदैव जलता रहे।

आस्था और मान्यताएं

जीण माता मंदिर सदियों से तीर्थयात्रा का केंद्र रहा है। यहां श्रद्धालु अपने घर की मन्नत मांगते हैं और चढ़ाई के समय रास्ते में रखे पत्थरों से प्रतीकात्मक रूप से घर बनाते हैं। मंदिर की खिड़की पर मोली लच्छे बाँधकर मन्नत माँगी जाती है। मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते, यहां तक कि ग्रहण के समय भी आरती तय समय पर की जाती है।

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नवरात्रि में विशेष आयोजन

चैत्र और अश्विन मास में नवरात्रि के दौरान यहां लाखों भक्त माता के दर्शन के लिए जुटते हैं। इस समय यहाँ बड़े मेले का आयोजन होता है, और श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। यह मंदिर सभी वर्गों और समुदायों के लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। छोटे बच्चों के जन्म पर यहाँ जडूला (प्रथम बाल काटने की रस्म) की पेशकश की जाती है।

जीण माता और हर्ष का पौराणिक प्रसंग

लोक मान्यताओं के अनुसार, जीण माता और उनके भाई हर्ष चौहान वंश के राजपूत परिवार से थे। जीण और हर्ष का अटूट प्रेम और भाई-बहन का पवित्र बंधन लोककथाओं और गीतों में जीवंत है। जीण माता का अपनी भाभी के साथ झगड़ा हुआ, जिसके बाद उन्होंने घर छोड़कर तपस्या के लिए ‘काजल शिखर’ पर्वत का चयन किया।

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हर्षनाथ भैरव और जीण माता का अद्वितीय प्रेम

जब हर्ष ने अपनी बहन को वापस घर लाने का प्रयास किया, तो जीण माता ने मना कर दिया। अंततः हर्ष ने भी अपने घर का त्याग कर दिया और पास के पर्वत पर तपस्या करने लगे। मान्यताओं के अनुसार, जीण माता देवी के रूप में प्रकट हुईं और हर्षनाथ भैरव के रूप में। इनके बीच का निश्छल प्रेम आज भी इस मंदिर में आस्था के रूप में जीवित है।

समापन: शक्ति, आस्था और भक्ति का संगम

जीण माता मंदिर न केवल एक प्राचीन मंदिर है, बल्कि यह शक्ति, भक्ति और प्रेम का अद्वितीय संगम है। यहाँ के लोकगीत और कहानियाँ इस भाई-बहन के पवित्र रिश्ते की गहराई को दर्शाते हैं। हर साल यहाँ आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जीण माता की शरण में आते हैं, और देवी का आशीर्वाद पाते हैं।

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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।

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