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Explainer: भारत में CAA की जरूरत क्यों पड़ी? क्यों हो रहा है सीएए का विरोध?

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Explainer: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) यानी सीएए (CAA) लागू होने के साथ ही कुछ राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों की सरकार भी इसे अपनाने को तैयार नहीं है। अब सवाल उठता है कि सीएए की जरूरत क्यों पड़ी और इसका विरोध क्यों हो रहा है। आइये जानते हैं सीएए को लेकर काम की बातें।

Rupali kumawat
Written by: Rupali kumawat - Sub Editor

Explainer: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) यानी सीएए (CAA) लागू होने के साथ ही कुछ राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। पश्चिम बंगाल समेत कुछ राज्यों की सरकार भी इसे अपनाने को तैयार नहीं है। लोकसभा चुनाव (Lok sabha election 2024) से पहले सीएए के लागू होने के कयास लगाए जा रहे थे। पर सोमवार की देर शाम मोदी सरकार ने अचानक सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। गृहमंत्री अमित शाह सीएए को लेकर बता चुके हैं कि इससे किसी की भी ना​गरिकता छिनी नहीं जाएगी। जबकि, इससे नागरिकता प्राप्त करने में आसानी होगी। अब सवाल उठता है कि सीएए की जरूरत क्यों पड़ी और इसका विरोध क्यों हो रहा है। आइये जानते हैं सीएए को लेकर काम की बातें।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का उद्देश्य क्या है?

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) का उद्देश्य नागरिकता अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम में बदलाव करना है। यह अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करना आसान बनाता है, जो तीन पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं।

देश में CAA की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बताया कि जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और भारत में ही बस गए थे, परंतु वे पूर्व-संशोधित नागरिकता कानून के हिसाब से भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते थे। जिसके कारण वो भारतीय नागरिकता में मिलने वाले कई लाभों से वंचित रह जाते थे। लेकिन, सीएए लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा। संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना पडे़गा।

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क्यों हो रहा है सीएए का विरोध?

CAA का विरोध विशेष समाज द्वारा शुरुआत से ही से किया जा रहा है। विशेष समाज का मानना है कि इस कानून से मुस्लिमों को बाहर रखना गलत है। क्योंकि, यह समानता के अधिकार के खिलाफ है और इससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचेगा। इसके साथ ही कई संगठनों का मानना है कि CAA से पूर्वोत्तर राज्यों की छवि ही बदल सकता है।

गौरतलब है की असम में हिंदू ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि, एक वो एकमात्र राज्य है जो बांग्लादेश के साथ 263 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है और जिसका इतिहास, राजनीति की एक लंबी और एक अलग ही पृष्ठभूमि है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि यह 1985 के असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो केंद्र सरकार और AASU के बीच हुआ था, जिसने बांग्लादेश से ‘अवैध प्रवासियों’ के खिलाफ छह साल तक आंदोलन का नेतृत्व किया था।

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रुपाली कुमावत पिछले कई वर्षों से लेखन क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनको हिंदी कविताएं, कहानियां लिखने के अलावा ब्रेकिंग, लेटेस्ट व ट्रेंडिंग न्यूज स्टोरी कवर करने में रुचि हैं। उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से BADM में M.Com किया हैं एवं पंडित दीनदयाल शेखावाटी यूनिवर्सिटी से family law में LL.M किया हैं। रुपाली कुमावत के लेख Focus her life, (राजस्थान पत्रिका), सीकर पत्रिका, https://foucs24news.com, खबर लाइव पटना जैसे मीडिया संस्थानों में छप चुके हैं। फिलहाल रुपाली कुमावत 89.6 एफएम सीकर में बतौर न्यूज कंटेंट राइटर अपनी सेवाएं दे रही हैं।
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