Hanuman ji Puja Vidhi: राम भक्त हनुमान जी (Hanuman Ji Worship) का जन्म चैत्र पूर्णिमा के चैत्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। हनुमान जी को चिरंजीवी माना गया है। मान्यता है कि कलियुग में केवल हनुमान जी ही जाग्रत देवता हैं। इसलिए हनुमान जी अपने भक्तों पर शीघ्र कृपा बरसाते हैं।
Astro tips for prosperity: जो भी भक्त बजरंगबली की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमान जी के किस रूप की पूजा करने से कौनसे फल की प्राप्ति हाेती है। तो चलिए जानते हैं हनुमान के किन रूपों की उपासना करना बेहद लाभदायक व फलदायी होता है।
पूर्वमुखीः हनुमान के पूर्वमुखी रूप काे वानर कहा गया है। मान्यता है कि हनुमान जी का यह रूप करोड़ों सूर्याे के तेज समान हैं। इस रूप की पूजा करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है।
पश्चिममुखीः पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे गरूड़ कहा गया है। यह रूप संकटमोचन माना गया है। जिस प्रकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ अजर-अमर हैं उसी तरह इनको भी अजर-अमर माना गया है।
उत्तरामुखी हनुमानः उत्तर दिशा देवताओं की मानी जाती है। शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है। उत्तर की तरफ जो मुंह है उसे शूकर कहा गया है। इनकी उपासना करने से अबाध धन-दौलत, ऐश्वर्य,प्रतिष्ठा, लंबी आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है।
दक्षिणामुखी हनुमानः दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे भगवान नृसिंह कहा जता है। यह रूप उपासको को भय, चिंता और परेशानीयों से मुक्त करता है। दक्षिण दिशा को बुरी शक्तियों के अतिरिक्त दिशा काल की दिशा मानी जाती है।
ऊर्ध्वमुखः हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप घोड़े के समरूप है। यह स्वरूप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था ऐसी मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे। ये स्वरूप जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा जागृत करता है।
पंचमुखीः प्रभु श्री राम जी की अहिरावण से मुक्ति के लिए बजरंगबली ने पंचमुखी रूप धारण किया था। पांचों दीपक एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध होगा इसी कारण हनुमान जी ने ये रूप लिया था ।
उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह, पश्चिम में गरुड़, आकाश की तरफ हयग्रीव एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख माना जाता है।