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Jaya Ekadashi 2025: कब है जया एकादशी, पितरों की मुक्ति का पावन व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पारण समय और महत्व

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Jaya Ekadashi 2025 Kab hai: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और उनमें से जया एकादशी का स्थान सर्वोच्च माना गया है। यह माघ शुक्ल एकादशी के दिन मनाई जाती है और इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है।

Bharti Sharma
Written by: Bharti Sharma - Sub Editor
4 Min Read

Jaya Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, और उनमें से जया एकादशी का स्थान सर्वोच्च माना गया है। यह माघ शुक्ल एकादशी के दिन मनाई जाती है और इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले को भूत-प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और वह स्वयं भी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करता है। आइए जानते हैं जया एकादशी 2025 पर पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पारण समय।

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जया एकादशी 2025: तिथि और दिन

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी 2025 रात 9:26 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 8 फरवरी 2025, रात 8:15 बजे
  • उदयातिथि के अनुसार व्रत: 8 फरवरी 2025, शनिवार को रखा जाएगा।

जया एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त

पूजा का उत्तम समय:

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  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:21 बजे से 06:13 बजे तक
  • शुभ-उत्तम मुहूर्त: सुबह 08:28 बजे से 09:50 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 बजे से 12:57 बजे तक

रवि योग का संयोग

  • इस बार जया एकादशी के दिन रवि योग भी बन रहा है, जो पूरे दिन शुभ फलदायी रहेगा।
  • रवि योग समय: सुबह 07:05 बजे से शाम 06:07 बजे तक

जया एकादशी 2025 पारण का समय

  • व्रत पारण (उपवास तोड़ने का समय)
  • 9 फरवरी 2025, रविवार
  • पारण का शुभ समय: सुबह 07:04 बजे से 09:17 बजे तक
  • द्वादशी तिथि समाप्त: शाम 07:25 बजे

स्वर्ग की भद्रा: क्या है इसका असर?

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8 फरवरी को भद्रा का समय: सुबह 08:48 बजे से रात 08:15 बजे तक रहेगा।

भद्रा वास स्थान: स्वर्ग

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इसका पृथ्वी पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा, अतः शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

जया एकादशी का महत्व

पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि जया एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद भूत-प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ब्रह्म हत्या और अन्य सभी पापों से मुक्ति मिलती है। पितरों को मोक्ष मिलता है और वे उच्च लोकों में स्थान प्राप्त करते हैं।

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जया एकादशी की व्रत विधि

  • व्रत रखने वाले भक्तों को चाहिए कि वे सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • शंख, तुलसी, पीले फूल और पंचामृत से भगवान की आराधना करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • संतों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें।
  • रात को जागरण करें और श्रीहरि का भजन-कीर्तन करें।

जया एकादशी से जुड़े धार्मिक कथानक

पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्गलोक में माल्यवान नामक गंधर्व और पुष्पवती नामक अप्सरा ने इस दिन व्रत का पालन किया था, जिससे उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिली और पुनः स्वर्ग में स्थान मिला। इसीलिए यह व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। जया एकादशी व्रत 2025 एक अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी व्रत है। यह न केवल पितरों की मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शुभता का संचार होता है।

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Bharti Sharma
Sub Editor
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भारती शर्मा पिछले कुछ सालों से पत्रकारिता क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। अपने कार्य क्षेत्र रहते हुए उन्होंने धर्म-कर्म, पंचांग, ज्योतिष, राशिफल, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा व समुद्र शास्त्र जैसे विषयों पर लेखन किया हैं। इसके अलावा उनको लोकल और ग्राउंड रिपोर्टिंग का भी अनुभव हैं। फिलहाल भारती शर्मा 89.6 एफएम सीकर में आरजे की पद संभालते हुए सीकर अपडेट शो का संचालन करती हैं और बतौर ज्योतिष शास्त्र लेखन कर रही हैं।
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