After Navratri-नवरात्रि पूजा की शुरुआत पहले नवरात्रे के दौरान कलश स्थापना से होती है। जब नवरात्रे खत्म हो जाते हैं तब इस कलश को नदी में प्रवाहित किया जाता है। ऐसा करने से आप की पूजा संपूर्ण होती है। अगर आप सारी प्रक्रिया को विधि विधान से और पूरे मन से करते हैं तो आपको इनका संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवी दुर्गा भी आपसे काफी प्रसन्न होती हैं। वहीं अगर आप जल्दबाजी में आ कर कोई कमी छोड़ देते हैं तो देवी आप से नाराज भी हो सकती हैं। इसलिए आप को सारी विधि और प्रक्रिया के बारे में अच्छे से जान लेना चाहिए। आइए जान लेते हैं नवरात्रि पूजा का फल प्राप्त करने के लिए किस तरह आप कलश उठा सकते हैं।
नवरात्रि का छठ्ठा दिन : इस दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा-Maa Katyani Pooja
दशमी के दिन करें कलश प्रवाहित (On Tenth day Things to do)
9 दिन तक नवरात्रों में अलग अलग मां दुर्गा के रूपों की पूजा होती है। जब नवरात्रि पूर्ण हो जाती हैं तो दशमी तिथि के दिन आप को कलश को उठा कर नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। इसे उठाते समय कुछ बातों का आपको ध्यान रखना चाहिए। कलश को उठाने से पहले उसे 5 बार हिलाना चाहिए। कलश के ऊपर एक नारियल भी रखा जाता है। आपको इसे गलत तरीके से नहीं उठाना चाहिए नहीं तो आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव आ सकता है।
पूजा होने के बाद (After Navratri) आप को नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर पूजा के स्थान पर सुरक्षित रूप से रख देना चाहिए। अगर आप इसे सुरक्षित रख पाने में असक्षम हैं तो आप को दशमी के दिन कलश के साथ साथ ही नारियल को भी प्रवाहित कर देना चाहिए। अगर यह भी नहीं कर सकते (After Navratri) दशमी के बाद आप इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। नारियल को इधर उधर भूल कर भी नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से अशुभ फल की प्राप्ति करनी पड़ सकती है।