Narsimha Dwadshi-नरसिम्हा द्वादशी को नरसिम्हा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। हम सब जानते हैं की प्रहलाद को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिम्हा का रूप लिया था और नरसिम्हा की भगवान विष्णु के अवतार के रूप में ही पूजा की जाती है। यह द्वादशी हर साल होलिका दहन से पहले मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप एक पापी राजा था जिसने अपने पुत्र को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को आग में अपने बेटे को लेकर बैठने को कहा लेकिन प्रहलाद बच गए थे और होलिका जल कर राख हो गई थी। इसके बाद हिरण्यकशप को मारने के लिए भगवान विष्णु ने नरसिम्हा का रूप लिया था। आइए जान लेते हैं कब मनाई जाएगी नरसिम्हा द्वादशी।
कब है नरसिम्हा द्वादशी?
हर साल फाल्गुन के महीने में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के नरसिम्हा अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान नरसिम्हा खंबे को चीर कर बाहर निकले थे। इस साल यह द्वादशी 21 मार्च को रात में 2 बज कर 22 मिनट पर शुरू हो जाएगी और अगले दिन 22 मार्च को सुबह 4 बज कर 44 मिनट पर यह मुहूर्त खत्म हो जाएगा।
इस तरह से करें पूजा
इस दिन आप को सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद भगवान नरसिम्हा की तस्वीर की स्थापना करके व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। आप इस दिन भगवान को अबीर, गुलाल, चंदन अक्षत, पीले फूल, दीप, नारियल, पांच मेवा और फल आदि को अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद आप भगवान नरसिम्हा को समर्पित किए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इसके बाद भक्त प्रह्लाद और भगवान नरसिम्हा की कथा पढ़ी जाती है। फिर आरती गा कर पूजा का समापन किया जाता है। इसके बाद आप भगवान विष्णु से अपना मन चाहा फल मांग सकते हैं और उनकी सच्चे दिल से पूरा दिन पूजा पाठ करें।