Jyesth Mah 2024: ज्येष्ठ माह 2024 की शुरुआत हो चुकी है। भयंकर गर्मी का मतलब है ज्येष्ठ माह। हिन्दू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है। इस तीसरे महीने में सूर्य का प्रभाव काफी बढ़ जाता है। इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है, इसे हमारी लोकल भाषा में जेठ भी कहा जाता है। ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। इस महीने में धर्म का संबंध जल से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है।
कब से कब तक है, ज्येष्ठ माह 2024
इस बार ज्येष्ठ माह 24 मई से 22 जून तक रहेगा।
ज्येष्ठ माह में क्या-क्या करें
इस महीने में जल बचाने का संदेश दिया जाता है, क्योंकि सूर्य के तेज प्रभाव के कारण जल का वाष्पीकरण तेजी से होता है। जिसके चलते कई नदियां और तालाब सूख जाते हैं। ऐसे में पानी बचाना बहुत जरूरी होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस माह में सूर्य और वरुण देव की पूजा करना बहुत अच्छा माना जाता है। इसके अलावा पौधों में जल देना, प्यासो को पानी पिलाना, जल पिलाने के लिए प्याऊ की व्यवस्था करना, जल की बर्बादी न करना इसका महत्व है।
सूर्य पूजा:-
रोज़ाना सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाकर ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। ध्यान रखें, इसमें यानि लोटे में लाल फूल और चावल भी ज़रूर डाल लें।
वैज्ञानिक महत्व:-
माना जाता है, कि इस महीने में सूर्य की वजह से वातावरण का और व्यक्ति के शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है, इसलिए कहा जाता है, कि इन दिनों में जल का सही और पर्याप्त उपयोग करना चाहिए। इस दौरान लू लगने का अधिक खतरा रहता है, इसलिए घर से बाहर निकलते समय सावधानी रखना अति आवश्यक होता है।
कैसे पाएं वरुण देव और सूर्यदेव की कृपा:-
नित्य प्रातः और संभव हो तो शाम को भी पौधों में जल दे, प्यासो को पानी पिलाएं, लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें, जल की बर्बादी बिल्कुल ना करें, घड़े सहित जल और पंखों का दान करें। नित्य प्रातः और शाम को सूर्य मंत्र का जाप करें। अगर सूर्य संबंध समस्या है, तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास भी रखें।
ज्येष्ठ के मंगलवार की क्या महिमा है?
ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा का महत्व है। इस दिन हनुमान जी को तुलसी दल की माला अर्पित की जाती है, और साथ ही मीठी चीजों का भूख भी लगाया जाता है। इसके बाद उनकी स्तुति की जाती है, और निर्धनों में हलवा पूरी और जल का वितरण किया जाता है। और ऐसा करने से हमारी मंगल संबंधी हर समस्या का निदान हो जाता है।
Edited By- Ravi Kumar Gupta