NEET Paper Leak Case Hearing: आज नीट पेपर लीक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले में सीकर का नाम भी आया है। सीकर के कोचिंग सेंटर्स (Sikar Coaching Center Name In NEET UG Case) का जिक्र किया जा रहा है।
सोमवार को नीट यूजी पेपर लीक मामले पर दलील दे रहे वकील हुड्डा ने सीकर का जिक्र किया। साथ ही सीकर के संस्थानों का इसमें शामिल होने की बात कही है। इस कारण एक बार फिर सीकर नीट को लेकर चर्चा में है।
नीट पेपर लीक में सीकर का नाम क्यों आ रहा है?
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एसजी से पूछा कि क्या छात्र रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के दौरान कभी भी कोई दस्तावेज दिखा सकता है कि वह उस पते का निवासी है? सीजेआई- अब तक हमने हजारीबाग, झज्जर, सीकर से निपटा है।
वकील हुड्डा कहते हैं कि अब कृपया राजकोट का डाटा देखें। राजकोट में एक स्टेशन ऐसा है, जहां 12 छात्र 700 से ऊपर हैं। 115 छात्र 650 से अधिक अंक वाले हैं। सीकर में 8 छात्र 700 से ऊपर हैं। 69 छात्र 650 से ऊपर हैं। सिटी कोऑर्डिनेटर इन स्कूलों के मालिक हैं। ये निजी स्कूल हैं। निरीक्षक इन स्कूलों के कर्मचारी हैं। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये शिक्षक कोटा और सीकर के कोचिंग सेंटरों से मिले हुए हैं।
सीजेआई ने पूछा कि क्या सिटी कोऑर्डिनेटर सरकारी कर्मचारी हैं? एनटीए ने जवाब दिया कि सीबीएसई स्कूलों के प्रिंसिपल हैं।
सीकर में 8 छात्र 700 से ऊपर आना और सिटी कोऑर्डिनेटर्स का स्कूल मालिक होना या इनका कोचिंग जैसे शिक्षण संस्थान के तार जुटते दिख रहे हैं। इसलिए सीकर के कोचिंग संस्थान घेरे में हैं।
सीकर में OMR शीट के साथ हेरफेर?
साथ ही वकील हुड्डा ने ये भी कहा कि सीकर, महेंद्रगढ़ जैसी जगहों पर ओएमआर शीट में हेरफेर किया जा रहा है। निजी निरीक्षकों के पास 5.20 के बाद ओएमआर शीट होती हैं। उन्हें शीट भरने और 3 घंटे के बाद सिटी सेंटर में जमा करने से क्या रोकता है? उन्हें सरकारी कॉलेज नहीं मिलेगा, लेकिन आरक्षण को ध्यान में रखते हुए प्रभावी रूप से केवल 25000 सीटें ही उपलब्ध हैं।
नीट यूजी परीक्षा 2024 के सेंटर्स
नीट-यूजी परीक्षा इस साल 05 मई को देश-विदेश के 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिनमें 14 विदेशी शहर भी थे। इसमें 23 लाख 33 हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। नीट पेपर धांधली का खुलासा सबसे पहले पटना पुलिस ने 5 मई को परीक्षा के दिन ही किया था। पटना के शास्त्री नगर थाने में इस संबंध में एक FIR दर्ज की गई थी। बाद में इस मामले को बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई को हस्तांतरित कर दिया गया।