Goddess lakshmi and God Vishnu -हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है l वह हमेशा भगवान विष्णु के साथ बैकुंठ धाम में विराजती हैं l यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं l एक तरफ जहां भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है वहीं दूसरी तरफ मां लक्ष्मी को सृष्टि का संचालक l आप सभी ने प्रभु श्री हरि भगवान विष्णु की अर्धांगिनी, मां लक्ष्मी को हमेशा उनके चरणों में विराजमान देखा होगा l इसके पीछे हमारे हिन्दू धर्म में कुछ पौराणिक कथाओं के माध्यम से मां लक्ष्मी का विष्णु जी के पैर दबाने का कारण बताया गया है । आज इस लेख में इसके पीछे की पुराने समय से मानी जाने वाली कुछ प्रचलित कथाओं के बारे में जानेंगे ।
पौराणिक कथाएं
• हिन्दू धर्म में पुराने समय से एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार, देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी उनके सौंदर्य से बहुत ईर्ष्या करती थीं। अलक्ष्मी की कोई पूजा नहीं करता था l ईर्ष्या वश जहां लक्ष्मी जी जाती थीं , अलक्ष्मी भी वहीं पहुंच जाती थीं। एक बार मां लक्ष्मी उनपर क्रोधित हो गयीं और उन्हें यह श्राप दे दिया, कि जहां भी ईर्ष्या, आलास्य, लालच और गंदगी होगी, वहीं पर तुम्हारा वास होगा। यही कारण है कि मां लक्ष्मी हमेशा विष्णु जी के चरणों में बैठकर उन्हें साफ करती रहती हैं, ताकि वहां अलक्ष्मी का वास न हो सके।
• एक अन्य कथा के अनुसार एक बार नारद मुनि ने मां लक्ष्मी से भगवान विष्णु के पैर दबाने का कारण पूछा। इस पर लक्ष्मी जी ने उन्हें बताया कि चाहे मनुष्य हो या देवता , हर किसी पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है। माना जाता है कि जहां स्त्रियों के हाथ में देवगुरु का वास होता है, वहीं पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास होता है।इसलिए जब भी एक स्त्री नियमित रूप से अपने पति के चरणों को स्पर्श करती है, तो देव व दानव का मिलन होता है, जिससे धन और सम्पन्नता का योग बनता है ।