Guru Purnima 2024: हमारे जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण स्थान होता है। उनके मार्गदर्शन से हमें सही दिशा मिलती है और सफलता पाने में मदद मिलती है। गुरु के बिना ज्ञान और मार्गदर्शन अधूरा रहता है।
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु को सम्मानित करने का विशेष अवसर है। इस दिन गुरु के साथ-साथ अपने बड़े-बुजुर्गों की भी पूजा करनी चाहिए ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता और सुख-समृद्धि बनी रहे।
गुरु पूर्णिमा 2024 में कब है?
गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 2024 में यह शुभ दिन 21 जुलाई को पड़ेगा। तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5:59 बजे से होगी और इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 3:46 बजे पर होगा।
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गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। तत्पश्चात भगवान वेदव्यास और अपने गुरु की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा करें। पूजा के दौरान फूल, फल और मिठाइयों का भोग लगाएं। इसके बाद गुरु मंत्रों का जाप करें और गुरु चालीसा का पाठ करें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु के प्रति आदर और श्रद्धा प्रकट करें। यह दिन गुरु और शिष्य के बीच आस्था और पूजा का विशेष दिन होता है। इस दिन शिष्यों को अपने गुरु का आशीर्वाद लेना चाहिए और उनके चरणों की वंदना करनी चाहिए।
गुरु मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से जीवन की समस्त परेशानियों का समाधान होता है। इस दिन आषाढ़ मास की समाप्ति और सावन मास की शुरुआत होती है, इसलिए भगवान शिव की पूजा भी विशेष लाभकारी मानी जाती है।
गुरु पूर्णिमा को भारत में विशेष श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास को संसार का प्रथम गुरु माना जाता है, अतः इस दिन उनका नाम लेकर गुरु मंत्रों का जाप करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा इतनी खास क्यों है?
बौद्ध परंपरा के अनुसार, यह त्यौहार बुद्ध के सम्मान में बौद्धों द्वारा मनाया जाता है, जिन्होंने इस दिन सारनाथ, उत्तर प्रदेश, भारत में अपना पहला उपदेश दिया था। योगिक परंपरा में, यह दिन उस अवसर के रूप में मनाया जाता है जब शिव पहले गुरु बने, क्योंकि उन्होंने सप्तर्षियों को योग का संचरण शुरू किया था।