Shiv Chalisa: श्रावण मास में शिव चालीसा का पाठ भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक अत्यंत प्रभावी उपाय माना जाता है। इस पवित्र महीने में नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो सकता है।
शिव चालीसा के फायदे: Shiv Chalisa Ke Fayde
धन प्राप्ति के लिए
अगर आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं और धन की प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, तो श्रावण मास में लगातार 40 दिनों तक शिव चालीसा का पाठ करें। प्रतिदिन नियत समय पर इस पाठ को करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
संतान सुख के लिए
भगवान शिव की आराधना से संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है। श्रावण मास में शिव चालीसा का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। यह उपाय उन दंपत्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो संतान सुख की कामना करते हैं।
भय से मुक्ति के लिए
यदि आपके मन में किसी प्रकार का भय है तो श्रावण मास में लगातार 40 दिन तक शिव चालीसा का पाठ करने से इस भय का नाश होता है। यह पाठ मन की शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
नकारात्मक विचारों से मुक्ति के लिए
नकारात्मक विचारों से ग्रसित मन को शांत और सकारात्मक बनाने के लिए शिव चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावशाली है। श्रावण मास में इस पाठ को नियमित रूप से पढ़ने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
अशुद्ध विचारों से मुक्ति के लिए
श्रावण मास का पवित्र समय भगवान शिव की आराधना के लिए उत्तम है। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करने से अशुद्ध विचारों और विकारों से छुटकारा मिलता है। यह पाठ मन को शुद्ध और पवित्र बनाता है।
कार्यसिद्धि के लिए
यदि आपके किसी कार्य में लगातार रुकावटें आ रही हैं, तो श्रावण मास में शिव चालीसा का पाठ करें। इस पाठ को नियमित रूप से करने से कार्यसिद्धि होती है और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
कर्ज से मुक्ति के लिए
कर्ज से मुक्ति पाने के लिए श्रावण मास में विशेष रूप से शिव चालीसा का पाठ करना लाभकारी है। नियमित रूप से इस पाठ को करने से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है।
शत्रु से मुक्ति के लिए
अगर कोई शत्रु आपका पीछा नहीं छोड़ रहा है या आपको परेशान कर रहा है, तो श्रावण मास में शिव चालीसा का पाठ करें। भगवान शिव की आराधना और शिव चालीसा के नियमित पाठ से शत्रु का नाश होता है और आप सुरक्षा और शांति का अनुभव करते हैं।
श्रावण मास में शिव चालीसा का पाठ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का एक सरल और प्रभावी उपाय है। नियमित रूप से इस पवित्र पाठ को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
शिव चालीसा (Shiv Chalisa In Hindi)
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे ॥
मैना मातु की है दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥ किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला ॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥ सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी ॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं ॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥ योगी यति मुनि ध्यानं। नारद शरद शीश नवाँवै॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
ऋनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी ॥ पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥ जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे ॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरा मन, पूर्ण करो जगदीश ॥ मगसर छठि हेमन्त ऋतु, संवत चौसठ जान। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याणन॥
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