Ravindra Singh Bhati Biography: राजस्थान की राजनीति में एक युवा नेता की धमक पिछले कई सालों से देखने को मिल रही है। 4 जून को जब नतीजे इनके पक्ष में रहे तो ये युवा नेता पक्का सांसद का टिकट लेकर दिल्ली पहुंचेगा। मजे की बात ये है कि ये नेता निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ रहा है और उसकी रैलियों में जिस तरह का जन सैलाब उतरा था उसे देखकर ही राजनीतिक पंडित उनकी जीत की भविष्यवाणी पहले ही कर चुके हैं।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान की राजनीति के उभरते हुए सितारे रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) की। जिन्होंने वकालत की डिग्री लेकर जनता की सेवा करने का रास्ता चुना। कॉलेज से राजनीति शुरू की फिर विधानसभा चुनाव में ताल ठोकी और अबकी बार 2024 के आम चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाते दिख रहे हैं। चलिए आज जानते हैं राजस्थान के इस नए मगर कद्दावर युवा नेता के बारे में..
रविंद्र भाटी की फैमिली (Ravindra Singh Bhati Family)
रविंद्र सिंह भाटी बाड़मेर के छोटे से गांव दुधोड़ा के रहने वाले हैं। ये मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। भाटी के पिता नाम शैतान सिंह भाटी शिक्षक हैं। इनकी माता का नाम अशोक कंवर है। रविंद्र सिंह भाटी विवाहित है तथा इनकी पत्नी का नाम धनिष्ठा कंवर है। इनकी फैमिली का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है।
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रविंद्र भाटी की शिक्षा (Ravindra Singh Bhati Education)
इन्होंने गांव से ही प्रारंभिक शिक्षा हासिल की फिर बाड़मेर शहर के एक स्कूल से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की। 2015 में ग्रेजुएशन के लिए भाटी जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहीं पर उन्होंने पहली बार राजनीति की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में काम करना शुरू किया। ग्रेजुएशन के बाद वकालत की डिग्री हासिल की।
राजनीति में एंट्री
फिर छात्रसंघ चुनाव लड़ने का मन बनाया, लेकिन एबीवीपी ने रविंद्र भाटी को टिकट नहीं दिया। तब उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता भी। वो यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में छात्रसंघ अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाले पहले छात्र नेता बने। ये चुनाव उन्होंने 1200 से अधिक वोटों से जीता था।
छात्रसंघ अध्यक्ष के पद पर रहते हुए उन्होंने छात्रों के लिए खूब काम किए। कोरोना काल में छात्रों की फीस माफी के मुद्दे को उठाया, यूनिवर्सिटी में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, गहलोत सरकार को कॉलेज की जमीन का मुद्दे के पीछे घेरा, छात्र हितों के लिए जेल गए और छात्रों की मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव किया भी किया।
भाटी ने सिर्फ अपने लिए बल्कि दोस्तों के लिए भी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने 2022 में अपने दोस्त अरविंद सिंह भाटी को जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष का चुनाव जितवाया। एनएसयूआई ने अरविंद को टिकट देने से इंकार कर दिया तो रविंद्र भाटी ने मोर्चा संभाला। उन्हें निर्दलीय खड़ा किया और प्रचार कर जीत दिलाई।
बीजेपी ने नहीं दिया था टिकट
भाटी के बागी तेवर यहीं से दिखाई देने शुरू हो गए थे और ये तो बस शुरुआत थी। इसके बाद आगे उन्होंने जो किया वो देखकर बड़े-बड़े नेता भी उन्हें सलाम करने लगे। वो युवा वर्ग के चहेते बन गए थे, तो उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में रविंद्र भाटी ने शिव सीट से टिकट की डिमांड की। मगर BJP ने उन्हें नया नवेला समझते हुए बाड़मेर जिलाध्यक्ष स्वरूप सिंह खारा को शिव से उम्मीदवार बना दिया। इससे खफा भाटी ने बीजेपी से बगावत कर दी। उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
रविंद्र भाटी की पहली जीत
मुकाबला टक्कर का था यहां सभी राजनीति के धुरंधर उन्हें हारा हुआ मान रहे थे। क्योंकि शिव सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री अमीन खान चुनाव लड़ रहे थे। वो 10वीं बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उधर बीजेपी ने भी फेमस नेता स्वरूप को उतारा था। मगर रविंद्र ने न सिर्फ इन सभी नेताओं को कड़ी चुनौती दी बल्कि 4000 वोटों के अंतर से शिव विधानसभा सीट से जीत हासिल कर सबको चौंका दिया। 3 दिसंबर 2023 को आए राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों के मुताबिक, बीजेपी के कैंडिडेट स्वरूप सिंह खारा की तो जमानत जब्त हो गई थी।
रविंद्र सिंह भाटी एमएलए बनने के बाद भी आराम से नहीं बैठे उन्होंने जनता के लिए काफी किए। इससे उनकी लोकप्रियता बाड़मेर के साथ ही पश्चिमी राजस्थान में बढ़ गई। यही नहीं आस-पास के इलाके जैसे जैसलमेर और बालोतरा में भी वो काफी फेमस हैं। सोशल मीडिया पर भी उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है।
अपनी इसी लोकप्रियता को भुनाने के लिए उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में ताल ठोकी है। 26 साल के युवा नेता ने पाकिस्तान की सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर संसदीय सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन भरने के बाद उनकी सभाओं और रोड शो में हजारों की तादाद में लोग शामिल हो रहे थे।
लड़ रहे हैं लोकसभा चुनाव
भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित राजस्थान का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है बाड़मेर। यहां से निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati), कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनिवाल (Umeda Ram Beniwal) और भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यहां से रवींद्र भाटी का पलड़ा भारी है।
जानकारों के मुताबिक, रविंद्र सिंह एबीवीपी के सदस्य रहे हैं तो वो इस हिसाब से खुद को बीजेपी के करीब पाते हैं। इसलिए उनके समर्थक भी बीजेपी के कार्यकर्ता और वोटर ही हैं। ऐसे में भाटी इस सीट पर भाजपा का ही वोट काटते दिख रहे हैं।
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जान से मारने की मिली धमकी
शिव विधानसभा सीट से विधायक (Sheo MLA )और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी को जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है। रविंद्र सिंह भाटी को जिसने जान से मारने की धमकी दी थी। उसे पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था। आरोपी बालोतरा का था और उसने रविंद्र भाटी की एक पोस्ट पर कमेंट कर जान से मारने की धमकी दी थी।
दर्ज हो चुका है केस
बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र के निर्दलीय प्रत्याशी एवं शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी और उनके समर्थकों पर मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। ये केस पचपदरा पुलिस थाने में भाटी और उनके समर्थकों की ओर से बालोतरा में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के बाहर किए गए प्रदर्शन के मामले में दर्ज किया गया था। पुलिस ने भाटी और उनके समर्थकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147,186,188 और 283 के तहत केस दर्ज किया था।
उनकी रैलियों में उमड़ते जनसैलाब को देखते हुए मीडिया ने भी उन्हें खूब कवरेज दी तो एक बार फिर से बीजेपी और कांग्रेस के नेता की त्यौरियां चढ़ गईं। उम्मीद है कि वो इस बार फिर धमाका करेंगे और 2024 के आम चुनाव में सांसद बन राजनेताओं को राजनीति का नया पाठ पढ़ाएंगे।
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