Herbal Gulal Holi: हर वर्ष रंगों का त्योहार होली (Holi 2024) उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन (Holika Dhahan) कर पूजा अर्चना की जाती है, वहीं दूसरे दिन रंग गुलाल (Rang Gulal) की होली खेली जाती है। मार्केट में कई तरह के रंग मिलते हैं, जो केमिकल और ना ना प्रकार से बनाया जाता है, जो कि स्किन के लिए हेल्दी नहीं होता। इसलिए कुछ लोग होली पर रंग खेलने से बचते हैं। पिछले कुछ सालों से हर्बल गुलाल (Herbal gulal holi colours) की मांग काफी बढ़ी है। हर्बल गुलाल प्राकृतिक तरीके से तैयार किया गया ऐसा रंग होता है जो प्योर नेचूरल बिना किसी मिलावट के होता है। जिससे बिना डर के होली खेल सकते हैं। आइये जानते हैं हर्बल गुलाल कैसे तैयार होता है।
रोजगार को बढ़ावा दे रहा हर्बल गुलाल (Herbal Gulal Manufacturer)
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना के अंतर्गत काम कर रही महिलाओं ने नवाचार करते हुए हर्बल गुलाल को बढ़ावा दे रही है। इससे लोगों की होली में खुशियों का रंग घुल रहा है। रंगों के त्योहार होली के पर्व पर त्वचा को नुकसान से बचाने के लिए राजीविका स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल तैयार किया है। जिससे उन महिलाओं को भी रोजगार मिला है। हर्बल गुलाब बनाने के लिए लक्ष्मणगढ़ ब्लॉक में संचालित वीरता सीएलएफ के सदस्यों ने उदयपुर के झाड़ोल तहसील में हर्बल गुलाब बनाने का प्रशिक्षण लिया।
कैसे तैयार होता है हर्बल गुलाल रंग (How to make organic gulal)
डीपीएम राजीविका सीकर अर्चना मौर्या ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद गुलाब तथा गेंदे के फूलों से और विभिन्न पौधों की हरी पत्तियों से गुलाल का उत्पादन किया गया है, जो सीकर जिले में बिक्री के लिए भी तैयार है। हर्बल गुलाल त्वचा के साथ वातावरण के लिए हानिकारक नहीं है। क्योंकि इसमें प्राकृतिक चीजों फूल पत्तियां का उपयोग करके ऑर्गेनिक गुलाल को तैयार किया है। जिसे हम प्राकृतिक तरीके से बनाया गया गुलाल भी कह सकते हैं। यह गुलाल हमारी होली में चार चांद लगा देगा। अब मार्केट में ऑर्गेनिक कलर्स मौजूद है। जिनका उपयोग सभी लोग अपनी होली के त्यौहार में कर सकेंगे।
हर्बल गुलाल बनाने में काम आ सकते हैं सजावट के फूल (Khatushyam ji Temple)
89.6 एफएम सीकर (89.6 FM Sikar) के सोशल मीडिया अकाउंट पर हमारे एक फॉलोअर ने बहुत ही अच्छा सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि हमारे सीकर में जीण माता व खाटू श्याम जी के प्रमुख मेले लगते हैं। जिनके अंदर पुष्प वर्षा होती है, काफी सारे फूल देवी देवताओं के चढाए जाते हैं। इसके अलावा मेले के दौरान सजावट में भी टनों में फूलों का प्रयोग किया जाता है। हम उन फूलों का उपयोग हर्बल गुलाब बनाने में कर सकते हैं। राजिविका परियोजना निदेशक से आग्रह है कि इस पर भी ध्यान दें। उनका ये सवाल वाकई गहन विचार का विषय है।
Holika Dahan: इन लोगों को भूल कर भी नहीं देखना चाहिए होलिका दहन, आगे जा कर आएंगी परेशानियां